
तकनीक, प्रबंधन और नवाचार से बदलेगा यूपी की कृषि का भविष्य, कृषि विशेषज्ञों ने गोष्ठी में रखे सुझाव
लखनऊ, 17 नवम्बर (Udaipur Kiran) । प्रदेश के कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने सोमवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान, लखनऊ के मरकरी ऑडिटोरियम में “विकसित उत्तर प्रदेश-2047” के अंतर्गत बेस्ट प्रेक्टिस एवं विजन डॉक्यूमेंटेशन पर आयोजित विचार मंथन गोष्ठी में प्रतिभाग किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक विकसित भारत का जो संकल्प लिया है, उसमें उत्तर प्रदेश के कृषि क्षेत्र की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में कृषि क्षेत्र को उत्पादकता, नवाचार, तकनीक और प्रबंधन के माध्यम से नए आयाम दिए जा रहे हैं।
कृषि मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को वर्ष 2047 तक छह ट्रिलियन यूएस डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें कृषि क्षेत्र से एक ट्रिलियन यूएस डॉलर के योगदान का रोडमैप तैयार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि गोष्ठी में कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति, कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्रों के विशेषज्ञ और प्रगतिशील किसान शामिल हुए हैं, जिन्होंने बदलते कृषि परिदृश्य और भावी आवश्यकताओं पर विचार रखे।
सहकारिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जे०पी०एस० राठौर ने बताया कि कृषि विकास कार्यशाला में तकनीक आधारित खेती, फसलों का विविधीकरण, समय पर उर्वरक उपलब्धता, कृषि ऋण की सुविधा, बेहतर प्रबंधन और सहकारी समितियों की भूमिका को सशक्त बनाने पर विशेष जोर दिया गया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देशन में जिला सहकारी बैंकों के पुनरुद्धार कार्य ने किसानों में भरोसा बढ़ाया है। सभी सहकारी समितियों को कैश क्रेडिट लिमिट प्रदान कर उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। ओवर-रेटिंग की रोकथाम के लिए समितियों को क्यूआर कोड उपलब्ध कराए गए हैं।
कृषि राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख ने कहा कि वर्ष 2047 तक उत्तर प्रदेश नवाचार और तकनीक को शामिल कर कृषि क्षेत्र में नये कीर्तिमान स्थापित करेगा।गोष्ठी के दौरान 22 संकल्पों पर आधारित कृषि विकास लक्ष्य, कृषि प्रबंधन में सुधार, फसल विविधीकरण, मिट्टी स्वास्थ्य, पोस्ट हार्वेस्ट तकनीक, डिजिटल एग्रीकल्चर, क्लाइमेट रेजिलिएंट फार्मिंग, क्रेडिट लिंकिंग, वैल्यू एडिशन और कृषि अनुसंधान की संभावनाओं पर विशेषज्ञों द्वारा प्रस्तुतीकरण दिया गया।डेलॉइट, ईवाई, आईआईपीआर, आईआईएसआर, सीएसएसआरआई, आईआरआरआई, आईआईएमआर, सीआईपीएचईटी सहित विभिन्न राष्ट्रीय संस्थानों के विशेषज्ञों ने कृषि परिदृश्य और वर्ष 2047 तक की रणनीति पर विस्तृत चर्चा की गई। निदेशक मक्का डॉ. एचएस जाट ने बताया कि मक्का का इथेनॉल बनाने में उपयोग होने के कारण भारत की निर्भरता पेट्रोल पर कम हुई है। आईआईआरआई निर्देशक डॉ. सुधांशु सिंह द्वारा अवगत कराया गया कि धान-गेहूं की खेती में अक्सर गेहूं की बुवाई देरी से होने के कारण गेहूं की पैदावार कम हो जाती है। इसलिए 15 नवंबर तक गेहूं की बुवाई कर ली जानी चाहिए।डॉ संजय अरोड़ा, सीएसएसआरआई, लखनऊ ने अवगत कराया कि यूपी की जमीन का ऑर्गेनिक कार्बन 0.2-0.3 प्रतिशत है। इसलिए ढैंचा का उपयोग क्रॉपिंग सिस्टम में ऑर्गेनिक कार्बन बढ़ाने के लिए करना चाहिए। डॉ. संजय सिंह डीजी उपकार ने अवगत कराया कि आय बढ़ाने हेतु किसानों को ग्रीष्मकालीन सब्जी, बागवानी फसलों जैसे आम, अमरूद, ड्रैगन फ्रूट इत्यादि उगाने पर भी जोड़ देना चाहिए।
(Udaipur Kiran) / बृजनंदन