
वाराणसी,5 नवम्बर (Udaipur Kiran) । देव दीपावली पर्व पर बुधवार की शाम उत्तरवाहिनी गंगा के घाटों पर दीपों की जगमगाहट के साथ ही काशी की धर्म, कला और संस्कृति भी झलक भी दिखी। अर्धचंद्राकार पथरीले घाटों पर कहीं फूलों के वंदनवार के साथ संतरंगी बिजली की लड़ियां (झालर) सजीं तो कहीं रंगोलियां। कहीं घाटों पर हल्दी-चंदन से अल्पनाएं उकेरी गईं तो कहीं पटाखों,अनार और फुलझड़ियों की सतरंगी रौशनी अलग ही माहौल बना रही थी।
इसी क्रम में अस्सीघाट पर गंगा आरती कराने वाली संस्था गंगा सेवा समिति की ओर से विश्व विजेता भारतीय महिला क्रिकेट टीम की प्रतिकृति बनाई गई थी। इसे घाट पर मौजूद लोगों के साथ सोशल मीडिया में भी सराहना मिली। अस्सी घाट पर ही जगतपुर पीजी कॉलेज की 10 छात्राओं ने 250 दीयों और 10 किलोग्राम पुष्प से भगवान विश्वनाथ का मुख उकेरा। उनकी कृति लोगों में आकर्षण रही।
दशाश्वमेध घाट पर मां गंगा की महाआरती ऑपरेशन सिंदूर की थीम पर रही। इसी तरह भगवान सुपार्श्वनाथ की जन्मस्थली स्थित श्री भदैनी दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र में इस बार जैन समाज ने भव्य तरीके से दीपोत्सव मनाया। पर्व पर जैन धर्म के मूल सिद्धांत “जीयो और जीने दो” तथा “अहिंसा परमो धर्म” को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से संपूर्ण जैन घाट को 5100 दीपों से सजाया गया। इस अवसर पर जैन समाज के सुरेन्द्र जैन ने बताया कि आज के समय में जब विश्व हिंसा, तनाव और भेदभाव जैसी चुनौतियों से जूझ रहा है, तब भगवान महावीर स्वामी के ये सिद्धांत मानवता के मार्गदर्शक हैं। दीपों की यह श्रृंखला केवल आस्था का प्रतीक नहीं होगी, बल्कि यह शांति, अहिंसा और सह-अस्तित्व का संदेश भी देगी।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी