Uttar Pradesh

तकनीकी विकास के साथ-साथ बढ़ रहा रेडियो एक्टिव रेडिएशन : प्रो.ए.के. त्यागी

काशी शब्दोत्सव
'काशी शब्दोत्सव

—तीन दिवसीय ‘काशी शब्दोत्सव ‘के दूसरे दिन पर्यावरण सत्र में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति ने लिया भाग

वाराणसी,17 नवम्बर (Udaipur Kiran) । काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के स्वतंत्रता भवन सभागार में आयोजित तीन दिवसीय ‘काशी शब्दोत्सव’ के दूसरे दिन सोमवार को विभिन्न सत्रों में विशेषज्ञों ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चिंतन के साथ—साथ भारतीय संस्कृति, कला और पर्यावरण से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार रखे।

कार्यक्रम में भारतीय संस्कृति एवं ललित कलाएं विषयक समानान्तर सत्र में प्रसिद्ध चित्रकार गायत्री गजेन्द्र मेहता ने कहा कि हजारों शब्दों के संदेश को एक चित्र सरलता से व्यक्त कर देता है। उन्होंने पीपीटी प्रस्तुति के माध्यम से भीमबेटका, सिन्धु सभ्यता, मौर्य कालीन, बौद्ध कालीन एंव गुप्त कालीन वस्तुकला, स्थापत्य कला एवं चित्रकला की तुलनात्मक प्रस्तुति की। इसी सत्र में पद्मश्री चित्रकार अद्वैत चरण गडनायक ने अरविन्द घोष, स्वामी विवेकानन्द, रवीन्द्रनाथ टैगोर सहित कोणार्क मंदिर की कृतियों और शिल्प को संरक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने चिंता जताई कि “वर्तमान पीढ़ी धीरे—धीरे कला से दूर हो रही है।”

प्रो. आनंद शंकर ने कहा कि भारतीय संस्कृति को समझने के लिए कला और पुरातत्व का ज्ञान अनिवार्य है। इस सत्र की अध्यक्षता करते हुए पद्मश्री प्रो0 राजेश्वर आचार्य ने कहा कि भगवान शिव भारतीय संस्कृति कला एवं ललित कला के आधार है। काशी उनकी रचना है। इस सत्र का संचालन महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ललित कला विभाग के अध्यक्ष डॉ सुनील विश्वकर्मा ने किया।

‘काशी शब्दोत्सव’ के पर्यावरण संवाद सत्र में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो.ए.के. त्यागी ने कहा कि आज तकनीकी विकास के साथ—साथ रेडियो एक्टिव रेडिएशन बढ़ रहा है। जिससे महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर का सामना करना पड़ रहा है। बच्चों के स्वास्थ्य पर मोबाइल के कारण बुरा प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि आज भयावह तकनीकी विकास ने ओजोन परत की समस्या पैदा कर दिया है, जिसका बचाव आवश्यक है। सत्र में पद्मश्री उमाशंकर पांडेय ने जल संरक्षण और पर्यावरणीय संतुलन पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा, “मैं किसान का बेटा हूँ, स्वयं किसान हूँ और मेरे बेटे भी किसान बनेंगे।” पांडेय ने चेतावनी दी कि भविष्य में जल संकट बड़ा वैश्विक खतरा बन सकता है और संभवतः अगला विश्व युद्ध पानी को लेकर हो। उन्होंने खेतों में मेढ़ निर्माण, मेड़ पर पेड़ लगाने और वर्षा जल संरक्षण जैसी पारंपरिक भारतीय तकनीकों को अपनाने का आह्वान किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो.शैलेश कुमार मिश्रा ने किया, जबकि अध्यक्षता संजय कुमार ने की।

— विशेष प्रस्तुति को सम्मानित किया गया

‘काशी शब्दोत्सव ‘ में शोधार्थियों और छात्रों के सत्र में विशेष प्रस्तुति को पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जिसमें प्रथम पुरस्कार रंजना प्रजापति, शोध छात्रा संस्कृत विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को प्रदान किया गया। दूसरा पुरस्कार शिवम् तिवारी को दीनदयाल उपाध्याय के जीवन दर्शन विषयक शोध पत्र पर प्रदान किया गया। प्राचीन भारत में धार्मिक समन्वय और हरिहर प्रतिमा पर शोध पत्र वाचन के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय की शोध छात्रा सुप्रिया कुमार को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। बताते चले काशी शब्दोत्सव का आयोजन संस्कृत विभाग बीएचयू और विश्व संवाद केन्द्र काशी ने किया है।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी