Uttar Pradesh

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जल संरक्षण व प्रबंधन के लिए जालौन के डीएम काे दिया 2 करोड़ रुपए का पुरस्कार

सम्मान पाते जिलाधिकारी राजेश कुमार पांडे

राष्ट्रीय स्तर पर छा गया उत्तर प्रदेश का ‘ जालौन मॉडल ‘ प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह और 2 करोड़ रुपए की पुरस्कार राशि मिली

उरई, 18 नवंबर (Udaipur Kiran) । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार काे नई दिल्ली में छठे राष्ट्रीय जल पुरस्कार समारोह में उत्तर प्रदेश के जालौन जिले को जल संरक्षण और जल संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए राष्ट्रीय सम्मान प्रदान किया। जालौन के जिलाधिकारी राजेश कुमार पांडेय ने यह पुरस्कार प्राप्त किया। समाराेह में उत्तर भारत क्षेत्र की श्रेणी में जालौन जिले को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है।

इस समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सम्मान समारोह में जालौन के डीएम पांडेय को प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह और 2 करोड़ रुपए की पुरस्कार राशि प्रदान की और जालौन जिले द्वारा जल संरक्षण के क्षेत्र में किए गए अभिनव प्रयासों और ‘जालौन मॉडल’ की विशेष रूप से सराहना की। इस राष्ट्रीय सम्मान पर जालौन के जिलाधिकारी राजेश कुमार पांडेय ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह उपलब्धि पूरे जालौन जिले के नागरिकों की है। उन्होंने कहा यह पुरस्कार उन सभी लोगों को समर्पित है, जिन्होंने जल संरक्षण को एक जन आंदोलन बनाया। जिले की जनता, अधिकारियों और स्वयंसेवी संस्थाओं के सामूहिक प्रयासों से ही यह सफलता मिली है।

जनभागीदारी का मॉडल किया विकसित

गौरतलब है कि बुंदेलखंड की जल समस्या वर्षों पुरानी है, लेकिन जालौन के डीएम राजेश कुमार पांडेय इस समस्या की जड़ तक पहुंचे और समाधान की दिशा में आगे बढे। उन्होंने जनभागीदारी आधारित एक ऐसा मॉडल विकसित किया जिससे जिले में जल संरक्षण की तस्वीर बदल दी। उन्होंने सरकारी स्तर पर कार्य करते हुए जल आंदोलन को जनता से जोड़कर गांव गांव तक अभियान चलाया। डीएम की नेतृत्व क्षमता और जनता के जुड़ाव ने जिले को उत्तर भारत के जल संरक्षण अभियानों की शीर्ष सूची में ला खड़ा किया है।

सूख चुके तालाबाें काे किया जीवित

जिल प्रशासन ने जल संरक्षण प्रयास के तहत जिले में पुराने और सूख चुके तालाबों को फिर से जीवित किया , जिससे वर्षा जल के संचयन की क्षमता में वृद्धि हुई। सैकड़ों सूखे कुओं को फिर से उपयोग लायक बनाया गया, जिससे भूजल पुनर्भरण में मदद मिली। जिले ने ऐतिहासिक जल स्रोतों के रख-रखाव और संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया। इस योजना के तहत किसानों को अपने खेतों में छोटे तालाब बनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया, जिससे उन्हें सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिल सके। नालों और छोटी नदियों पर चेक डैम बनाए गए, जिससे पानी के बहाव को रोका गया और भूजल स्तर में सुधार हुआ।

गांवाें में दिख रहे सकारात्मक असर

इन सभी प्रयासों के सकारात्मक नतीजे जिले के कई गांवों में देखने को मिले हैं। वहाँ भू-जल स्तर में काफी सुधार दर्ज किया गया है। इसका सीधा लाभ किसानों को मिला है और अब उन्हें फसलों के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध हो रहा है। साथ ही, जल जीवन मिशन के तहत नल से जल आपूर्ति की व्यवस्था में भी बड़ा सुधार हुआ है।

(Udaipur Kiran) / विशाल कुमार वर्मा