काठमांडू, 4 अगस्त (Udaipur Kiran) । नेपाल में पारंपरिक रूप से मनाए जाने वाला भोटो जात्रा आज ललितपुर के जावलाखेल में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित विशिष्ट लोगों के समक्ष जीवित देवी कुमारी पूजा के साथ ही संपन्न हुआ।
भोटो दिखाने के बाद करीब तीन महीने से चली आ रही रातो मछिन्द्रनाथ की रथयात्रा विधिवत संपन्न हो गई। रातो मछिन्द्रनाथ के रथ के चारों कोनों पर खड़े होकर गुठी संस्थान के प्रतिनिधियों ने हीरे और माणिक्य से जडि़त भोटो दिखाया।
हर साल राष्ट्राध्यक्ष की मौजूदगी में यह भोटो जात्रा संपन्न किया जाता है। नेपाल में राजतंत्र के समय राजा के समक्ष यह यात्रा निकाली जाती थी और अभी गणतंत्र के समय राष्ट्रपति के समक्ष यह सांस्कृतिक आयोजन होता है।
रातो मछिन्द्रनाथ रथ यात्रा, जिसे नेपाल की सबसे लंबी यात्रा माना जाता है। 9 मई को शुरू हुए इस यात्रा में पहले दिन मछिन्द्रनाथ की मूर्ति को पुलचोक ले जाया गया था।भोटो दिखाने के बाद मछिन्द्रनाथ की लाल प्रतिमा को रथ से उतारकर चटाई पर रख दिया जाता है। आज के ही दिन इसे बुंगमती में लाने की परंपरा है।
पाटन के मच्छिन्द्र बहल में लाल मछिन्द्रनाथ को सूर्य के दक्षिणायन रहने तक यानि अगले 6 महीने और बुंगमती में सूर्य उत्तरायण के 6 महीने रखने की परंपरा है। हिंदू धर्मावलंबी रातो मछिन्द्रनाथ को ऐतिहासिक संत गुरु करुणामय के रूप में पूजते हैं, जबकि बौद्ध उन्हें ‘पद्मपानी’ (पांच बुद्धों में से चौथे गुरू) के रूप में पूजते हैं।
(Udaipur Kiran) / पंकज दास / प्रभात मिश्रा