
बाराबंकी, 21 नवंबर (Udaipur Kiran) । महादेवा महोत्सव के मंच पर देर शाम नवरस बुंदेली लोककला समिति महोबा द्वारा प्रस्तुत किया गया आल्हा गायन खूब सराहा गया।
मुख्य गायक जितेंद्र चौरसिया व उनके साथियों ने बेहतरीन अंदाज में आल्हा गायन कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। आल्हा गाते गाते जब म्यान से तलवारें निकलती तो लोग वाहवाह कर उठते। उन्होंने अपना आल्हा गायन महोबा की लड़ाई बड़े लड़ईया महोबा वाले जिससे हार गई तलवार सुनाकर आनंदित किया। फिर उन्होंने अगली प्रस्तुति में एक का मारे दो मर जावे, तीसर ख़ौफ़ खाय मर जाय को अभिनय के साथ प्रस्तुत किया तो खूब तालियां बजी। फिर माड़ो की लड़ाई का बेहतरीन प्रस्तुतीकरण कर लोगों का मन मोह लिया । उनकी यह लाइन बाप का बैरी जो न मारय वाका मास गिद्ध ना खाय सुनाया तो लोगों में जोश भर गया।
बुंदेली भेषभूसा से सुसज्जित कलाकारों द्वारा अभिनय के साथ प्रस्तुत आल्हा गायन को खूब सराहना मिली। कजली की लड़ाई में जब सुनाया कि खुटै कजरिया तला कि तरवा, बहन की लाज बचावै आय तो लोगों ने जमकर तालियां बजाई । आल्हा गायन में शरद अनुरागी ,राहुल अनुरागी, पवन सेन व अमन का भी बड़ा योगदान रहा । ढोलक पर राधा रमन, पखावज पर उदय, मंजीरा पर अनुराग ने संगत दी। कलाकारों को आयोजन समिति ने सम्मानित किया।
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(Udaipur Kiran) / पंकज कुमार चतुवेर्दी