
रांची, 25 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि डिजिटल दुनिया, जो कभी महिलाओं के सशक्तिकरण का माध्यम थी। अब कई बार उत्पीड़न, धमकी और भय का जरिया बन रही है। ऑनलाइन लैंगिक हिंसा सिर्फ व्यक्तिगत सुरक्षा का मुद्दा नहीं है। बल्कि लोकतंत्र और समाज की मजबूती पर सीधा प्रभाव डालने वाला गंभीर समस्या है। लेकिन वैश्विक सहयोग के साथ भारत, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन हिंसा रोकने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। टेक्नोलॉजी फेसिलेटेट जेंडर बेस्ड वॉयलेंस को रोकने में देश की संसद और नीति निर्माताओं की भूमिका निर्णायक है। मंत्री दीपिका शनिवार को लुसर्न, स्विट्जरलैंड में आयोजित एडवांसिंग फेमिनिस्ट् पोलिटिकल लीडरशीप एंड सिक्यूसरिंग पीस कार्यक्रम में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए बोल रहीं थी।
उन्होंने कहा कि महिलाओं की ऑनलाइन सुरक्षा केवल व्यक्तिगत सुरक्षा का मामला नहीं, बल्कि समाज, लोकतंत्र और समानता की रक्षा का मुद्दा है। इसपर ध्यान देने की जरूरत है।
85 प्रतिशत भारतीय महिलाओं ने ऑनलाइन उत्पीड़न का किया सामना
मौके पर उन्होंंने भारत में डिजिटल हिंसा के आंकड़ा साझा करते हुए बताया कि 2022 में 85 प्रतिशत भारतीय महिलाओं ने ऑनलाइन उत्पीड़न का सामना किया और 54 प्रतिशत को तकनीक-आधारित हिंसा का सामना करना पड़ा। इसके अलावा 65 प्रतिशत महिलाओं ने मानसिक स्वास्थ्य पर इसके नकारात्मक प्रभाव का अनुभव किया। इनमें सिर्फ 30 प्रतिशत महिलाएं ही कानून के पास शिकायत करने जाती हैं, जो सामाजिक कलंक और भरोसे की कमी को दर्शाता है।
मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने समाधान की बातें बताते हुए महत्वपूर्ण तीन स्तंभों की रणनीति प्रस्तुत की। जिनमें मुख्य रूप से शिक्षा के क्षेत्र में ध्यान देते हुए डिजिटल साक्षरता, ऑनलाइन सुरक्षा और मीडिया जागरूकता को बढ़ावा देने, स्थानीय भाषा में प्रशिक्षण और स्कूल और पंचायत स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम किए जाने की बात कही।
ग्रामीण विकास विभाग की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से उक्त जानकारी देते हुए बताया गया कि कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं के राजनीतिक नेतृत्व को मजबूत करना, वैश्विक स्तर पर समानता और शांति को बढ़ावा देना और डिजिटल तथा सामाजिक चुनौतियों पर अनुभव साझा करना था। कार्यक्रम में 47 देशों से महिला नेताओं और प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
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(Udaipur Kiran) / Manoj Kumar