Madhya Pradesh

मप्र हाईकोर्ट ने मऊगंज हिंसा में सीबीआई जांच की मांग पर सरकार, कलेक्टर,पुलिस अधिकारियों को जारी किए नोटिस

मध्य प्रदेश राज्य परिवहन प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में परिवहन सचिव मनीष सिंह की नियुक्ति के आदेश को चुनौती नोटिस जारी

जबलपुर, 29 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । मप्र हाईकोर्ट ने मऊगंज हिंसा पर लगी जनहित याचिका पर बुधवार को हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस की डिविजन बेंच ने सुनवाई की। सुनवाई करते हुए सरकार, डीजीपी, कलेक्टर और पुलिस अधिकारियों को नोटिस जारी कर स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। इस याचिका में सीबीआई जांच की मांग की गई है। अदालत ने यह निर्देश क्षेत्र के पूर्व विधायक सुखेंद्र सिंह बन्ना की दायर जनहित याचिका पर दिया। इसमें मऊगंज हिंसा सहित मुख्य मामले में सीबीआई जांच की मांग की गई है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर को होगी।

रीवा जिले के मऊगंज क्षेत्र में हुई हिंसक घटना और साम्प्रदायिक तनाव के मामले में जनहित याचिका लगाई है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि मऊगंज में हुए साम्प्रदायिक तनाव के बाद प्रशासन ने हालात काबू में लाने के लिए धारा 144 और 163 तक लागू की थी। लेकिन पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने गंभीरता से कार्रवाई नहीं की। याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्रभावशाली लोगों को बचाने के लिए जांच को भटकाया जा रहा है। इसी कारण अब मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की गई है।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता काजी फखरुद्दीन ने अदालत को बताया कि मऊगंज क्षेत्र में कुछ वर्ष पूर्व दो लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने उसे एक्सीडेंट बताकर मामला दबा दिया। मृतकों के परिजनों ने एसपी से लेकर डीजीपी तक आवेदन दिए। आरोपियों के नाम भी बताए, परंतु राजनीतिक दबाव के चलते किसी पर कार्रवाई नहीं की गई। उस घटना के बाद से ही गांव में कई लोगों की रहस्यमय मौतें हुई हैं और कुछ लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। बावजूद इसके, पुलिस ने किसी भी घटना की निष्पक्ष जांच नहीं की। इस घटना के पीछे आदिवासी जमीनों पर कब्जे के भी आरोप लगाए जा रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि मऊगंज हिंसा की शुरुआत मार्च 2025 में उस समय हुई जब कुछ दिनों पहले हुए एक सड़क हादसे से जुड़ा विवाद अचानक भड़क उठा। उस सड़क दुर्घटना में अशोक कोल नामक आदिवासी युवक की भी मौत हुई थी। स्थानीय आदिवासियों को शक था कि यह कोई सामान्य हादसा नहीं बल्कि सनी द्विवेदी नामक युवक द्वारा की गई साजिश थी।

इस पुराने विवाद के चलते होली के दूसरे दिन सनी द्विवेदी जब उसी गांव से गुजर रहे थे, तब कुछ ग्रामीणों ने उन्हें पकड़ लिया। बंधक बनाया और कथित रूप से पीट-पीटकर हत्या कर दी। मौके पर मौजूद आदिवासी भीड़ अचानक भड़क उठी और पुलिस पर पथराव और हमला कर दिया। इस दौरान सहायक उपनिरीक्षक रामचरण गौतम गंभीर रूप से घायल हुए और बाद में उनकी मृत्यु हो गई। कई पुलिसकर्मी और प्रशासनिक अधिकारी भी घायल हुए।

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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक

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