
मुरादाबाद, 1 नवंबर (Udaipur Kiran) । कुंज बिहारी महिला मंडल के तत्वावधान में सिविल लाइन स्थित पुलिस लाइन मंदिर में आयोजित संगीतमय नवदिवसीय श्री राम कथा के सातवें दिन शनिवार को कथावाचक आचार्य व्योम त्रिपाठी ने राम बनवास संवाद का वर्णन किया। आचार्य व्योम त्रिपाठी ने कहा कि आप बिहारी जी के घर चले जाओ यह कथा की कृपा नहीं है। बिहारी जी आपके घर आ जाएं यह कथा की कृपा होती है। इसीलिए तब तक कथा का श्रवण करते रहें जब तक स्वयं भगवान आपके घर ना आ जाएं।
आचार्य व्योम त्रिपाठी ने आगे बताया कि हम कथा में प्रतिदिन बैठ रह और कथा हमारे अंदर कितनी बैठ रही है इस पर चिंतन करना चाहिए। घर में बैठे हैं और कथा की याद आ रही है यह बहुत ही श्रेष्ठ है लेकिन कथा में बैठे हैं और घर की याद आ रही है यह सही नहीं है।
उन्होंने बताया कि श्रीराम कथा विश्वकल्याणदायनी हैं इसका ध्यानपूर्वक मन लगाकर श्रवण करें। यही वजह है कि श्रीरामचरित मानस में गुरु, माता-पिता, पुत्र-पुत्री, भाई, मित्र, पति-पत्नी आदि का कर्तव्य बोध एवं सदाचरण की सीख हमें सर्वत्र मिलती है।
आचार्य व्योम त्रिपाठी ने आगे बताया कि अयोध्या के कोप भवन में कैकेयी ने राजा दशरथ से दो वचन मांगे। जिस पर राजा दशरथ ने कहा कि रघुकुल रीति सदा चल आई, प्राण जाई पर वचन न जाई… यह सुनते ही कैकेयी ने राजा दशरथ से अपने दो वचनों में से पहला वचन अपने पुत्र भरत को अयोध्या की राजगद्दी मांग ली तथा दूसरा भगवान श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास मांगा।
कैकेयी के यह कटु वचन सुनते ही महाराजा दशरथ के होश उड़ गए। वहीं जब भगवान श्रीराम को इस बात का पता चला तो वह पिता के वचन को निभाने के लिए वन जाने को खुशी-खुशी तैयार हो गए। भगवान श्रीराम के वन जाने की बात सुनते ही माता सीता और लक्ष्मण भी उनके साथ वन जाने को तैयार हो गए। राम जी के मना करने के बाद भी लक्ष्मण नहीं माने। जिसके बाद तीनों अयोध्या से वन के लिए निकल पड़े।
मुख्य यजमान डॉ शशि अरोड़ा व अशोक अरोड़ा रहे। इस मौके पर निमित जायसवाल, नीलम अग्रवाल, मीरा गुप्ता, शिक्षा गोयल, मोनिका अग्रवाल, अनिल भगत, सनी भारद्वाज, रोहिणी कंसल, अंजू मेहरोत्रा शालिनी अग्रवाल, किरन सिक्का, शिवानी शर्मा, मानवी मुंजियाल आदि उपस्थित रही।
(Udaipur Kiran) / निमित कुमार जायसवाल