शिमला, 04 नवंबर (Udaipur Kiran) । स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. (कर्नल) धनी राम शांडिल ने विपक्ष के इस आरोप को सिरे से खारिज किया कि राज्य सरकार केंद्र से प्राप्त धन का सही उपयोग नहीं कर पा रही है। उन्होंने कहा कि वास्तव में केंद्र सरकार हिमाचल को पर्याप्त वित्तीय सहायता प्रदान करने में विफल रही है, जबकि राज्य ने हाल के वर्षों में भारी प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया है।
डॉ. शांडिल ने कहा कि वर्ष 2023 के मानसून सीजन के दौरान राज्य को 18,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ, लेकिन केंद्र ने आपदा राहत के लिए मात्र 433.70 करोड़ रुपये जारी किए। उन्होंने कहा कि “केंद्र सरकार कांग्रेस शासित हिमाचल के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है, जबकि राज्य के लोग इस धनराशि पर अधिकार रखते हैं।”
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने 9,042 करोड़ रुपये की सहायता का अनुरोध किया था, परंतु केंद्र ने एनडीआरएफ के तहत केवल 2006.40 करोड़ रुपये के रिकवरी प्लान को मंजूरी दी, जो अपर्याप्त है। इसके अलावा, राजस्व घाटा अनुदान में कटौती और उधार सीमा में कमी ने राज्य की वित्तीय स्थिति को और कठिन बना दिया है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार की गलत नीतियों के कारण प्रदेश पर 75,000 करोड़ रुपये का ऋण और कर्मचारियों की 10,000 करोड़ रुपये की देनदारी का बोझ पड़ा। वर्तमान सरकार ने वित्तीय अनुशासन, ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण, रोजगार सृजन और सामाजिक कल्याण को प्राथमिकता दी है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में सरकार ने आपदा राहत मुआवजे को 1.30 लाख रुपये से बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दिया है, जो अब तक की सबसे बड़ी वृद्धि है। साथ ही, सरकार ने सुख-आश्रय योजना, पुरानी पेंशन बहाली, और दूध एवं फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसी ऐतिहासिक पहलें शुरू की हैं।
डॉ. शांडिल ने कहा कि भाजपा के निराधार आरोपों के बावजूद हिमाचल सरकार वर्ष 2027 तक आत्मनिर्भर राज्य बनाने के लक्ष्य की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रही है।
—————
(Udaipur Kiran) शुक्ला