RAJASTHAN

प्रदेश के अस्पतालों में मजबूत होगी अग्नि सुरक्षा व्यवस्था, अग्नि सुरक्षा अधिकारियों के 30 नए पद सृजित

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा फाइल फोटो।

जयपुर, 12 नवम्बर (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की पहल पर राज्य सरकार ने प्रदेश के बडे़ अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब इन अस्पतालों में स्थायी रूप से अग्नि सुरक्षा अधिकारी उपलब्ध हो सकेंगे। चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा 30 अग्नि सुरक्षा अधिकारी के पद सृजित करने का प्रस्ताव भेजा गया था, जिसे वित्त विभाग ने स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस स्वीकृति से प्रदेश के अस्पतालों में आमजन को सुरक्षित रूप से स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।

चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने कहा है कि राज्य सरकार प्रदेश में निरंतर स्वास्थ्य सेवाओं का उन्नयन कर रही है। विगत दिनों सवाई मानसिंह अस्पताल में हुई आग की घटना के बाद विभाग ने अग्नि सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए नए पदों का सृजन किया है।

चिकित्सा शिक्षा विभाग के शासन सचिव अम्बरीष कुमार ने बताया कि प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों एवं संबंधित अस्पतालों में प्रति वर्ष लगभग 4 करोड़ मरीज ओपीडी सेवाएँ प्राप्त करते हैं तथा वर्तमान में 42,000 इनडोर बैड क्षमता उपलब्ध है, प्रति माह 50,000 से अधिक सर्जरी की जाती हैं, अस्पतालों में प्रतिदिन लगभग 12,500 मेडिकल गैस सिलेंडर का उपयोग होता है तथा औसतन 60,000 से अधिक चिकित्सक एवं नर्सिंग कार्मिक कार्यरत हैं। इतनी विशाल स्वास्थ्य प्रणाली में किसी भी आकस्मिक आग की घटना की स्थिति में प्रभावी प्रबंधन के लिए विशेषज्ञ के रूप में अग्नि सुरक्षा अधिकारियों की नियुक्ति अत्यावश्यक है। शासन सचिव ने बताया कि प्रदेश के सभी चिकित्सा संस्थानों में राष्ट्रीय बिल्डिंग कोड (एनबीसी) एवं राज्य अग्नि सुरक्षा अधिनियमों के अनुरूप सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित किया जाएगा।

इस निर्णय के अंतर्गत कुल 30 पद स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें 6 पद पे लेवल-11 तथा 24 पद पे लेवल-8 पर होंगे। उक्त पद स्थानीय निकाय विभाग के कैडर के अनुसार रहेंगे एवं इनकी नियुक्ति, प्रतिनियुक्ति अथवा सीधे नियुक्ति की जाएगी। फायर सेफ्टी अधिकारियों की मुख्य जिम्मेदारी अस्पतालों की अग्नि सुरक्षा सुनिश्चित करना होगी। इसके अंतर्गत वे नियमित फायर ऑडिट, मासिक मॉक ड्रिल (दिन एवं रात्रि दोनों शिफ्टों में), आईसीयू, ऑक्सीजन लाइन और हाइड्रेंट सिस्टम की सतत निगरानी करेंगे। साथ ही, फायर अलार्म एवं स्प्रिंकलर सिस्टम का रखरखाव सुनिश्चित करेंगे तथा निर्माण व विस्तार परियोजनाओं में फायर सेफ्टी मानकों का सत्यापन भी करेंगे। आपात स्थिति में राहत एवं बचाव कार्यों का नेतृत्व भी इन्हीं अधिकारियों द्वारा किया जाएगा।

शासन सचिव ने बताया कि विभाग द्वारा 15 दिसम्बर, 2025 तक भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी। चयनित अधिकारियों को विशिष्ट तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, जिसके लिए एनआईएफएसए एवं एडीआरएफ जैसी संस्थाओं से सहयोग लिया जाएगा। इस पहल के अंतर्गत अस्पताल कार्मिकों एवं मेडिकल छात्रों के लिए भी अग्नि सुरक्षा जागरूकता मॉड्यूल विकसित किया जाएगा, जिससे अस्पताल स्तर पर सुरक्षा संस्कृति को सुदृढ़ किया जा सके।

इस कार्य के नोडल अधिकारी नरेश गोयल अतिरिक्त निदेशक (रिसर्च एंड प्लानिंग) ने बताया कि महत्वपूर्ण निर्णय से न केवल वर्तमान सुरक्षा व्यवस्थाएँ मजबूत होंगी, बल्कि भविष्य में किसी भी आपात स्थिति में वैज्ञानिक, त्वरित एवं समन्वित प्रतिक्रिया सुनिश्चित होगी। इससे मरीजों, परिजनों तथा स्वास्थ्य कर्मियों के लिए एक सुरक्षित, भरोसेमंद और संवेदनशील वातावरण तैयार किया जा सकेगा। इसके साथ ही, अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा मानकों का एकीकृत और मानकीकृत मॉडल स्थापित होगा, जिससे राजस्थान अन्य राज्यों के लिए उदाहरण बनेगा।

यह निर्णय राजस्थान सरकार की ‘सुरक्षित अस्पताल एवं सुरक्षित जीवन’ की प्रतिबद्धता को सशक्त रूप से अभिव्यक्त करता है। यह न केवल तकनीकी दक्षता और आपदा प्रबंधन की दिशा में उल्लेखनीय कदम है। यह पहल प्रदेश में अस्पताल सुरक्षा के नए मानक स्थापित करेगी।

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(Udaipur Kiran)