Uttar Pradesh

बीएचयू में भारत-जापान उच्च-स्तरीय शैक्षिक कॉन्क्लेव के समापन पर पुस्तक विमोचन

फोटो प्रतीक

वाराणसी, 17 नवम्बर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के मालवीय मूल्य अनुसंधान केंद्र में आयोजित भारत-जापान उच्च-स्तरीय शैक्षिक कॉन्क्लेव का समापन सोमवार को हुआ। समापन समारोह में मेजर जनरल (डॉ.) जी. डी बक्शी, एसएम, वीएसएम (सेवानिवृत) के पुस्तक का विमोचन भी अतिथियों ने किया।

इस अवसर पर मेजर जनरल बक्शी ने इतिहास लेखन में प्रचलित औपनिवेशिक आख्यानी तथा बाहरी स्रोतों पर निर्भर डेटा के प्रभाव का उल्लेख किया। उन्होंने अपने पुस्तक के केंद्रीय प्रश्न- “हिंदू धर्म का इतिहास कहाँ है?” पर विशेष बल दिया। उन्होंने “एकम सद् विप्रा बहुधा वदन्ति” की दार्शनिक गहराई को भी बताया। उन्होंने कहा कि यह वाक्य हिंदू चिंतन की मूलभूत बहुततावादी दृष्टि का सार प्रस्तुत करता है। मेजर जनरल ने अनुभव जन्य अध्यात्म की अवधारणा को बताते हुए अनुभूति और अनुभव के मध्य अंतर को स्पष्ट किया और बताया कि परम्परा के भीतर से हिंदू धर्म को समझने के लिए यह द्वैत अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने हिंदू दर्शन की सहज लचीलेपन, सत्य की खोज की उसकी प्रवृति और वास्तविकता को विभिन्न मागौं से जानने की उसकी परम्परा को भी स्मरण किया।

कार्यक्रम में नुपुर तिवारी, डॉ कुँवर अलेकन्द्र प्रताप सिंह (संयोजक, भारत-जापान शिक्षा कॉन्क्लेव), प्रो. जगदेव सिंह सहित वरिष्ठ प्रोफेसरों की भी मौजूदगी रही।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी