Chhattisgarh

शरीर नाशवान है, आत्मा शाश्वत है: प्रशम सागर

मुनियों का प्रवचन सुनते हुए समाज की महिलाएं।
जैन मंदिर परिसर में प्रवचन देते हुए जैन मुनि।

धमतरी, 6 जुलाई (Udaipur Kiran) । शहर के श्री पार्श्वनाथ जिनालय में चातुर्मास के लिए प्रशम सागर महाराज और योगवर्धन महाराज विराजमान हैं। यहां प्रतिदिन मुनियों का प्रवचन हो रहा है। प्रवचन सुनने काफी संख्या में समाजजन पहुंच रहे हैं।

जैन मुनि प्रशम सागर ने बताया कि चातुर्मासिक सामूहिक तपस्या 13 जुलाई से शुरू हो रही है। इसमें दो विशेष तप रखे गए हैं। पहला कर्म विजय तप है। यह 29 दिन का होगा। इसका उद्देश्य अज्ञानता के कारण बंधे कर्मों पर विजय पाना है। जानकारी के अभाव में जो कर्म बंध गए हैं, उन पर तपस्या से विजय पाई जाती है। दूसरा आत्म शोधन तप है। इसका उद्देश्य आत्मा को पहचानना है। शरीर नाशवान है, आत्मा शाश्वत है। ज्ञानी कहते हैं आत्मा कभी नहीं बदलती। इस तप से आत्मा की वास्तविकता को जानने का प्रयास किया जाएगा। आत्मा का विकास ही मोक्ष तक पहुंचा सकता है। मोक्ष ही आत्मा का परम लक्ष्य है।

जैन मंदिर में आयोजित प्रवचन माला में जैनमुनि प्रशम सागर महाराज ने बताया कि दादा गुरुदेव ने एक बार बिजली गिरने पर भक्तों की रक्षा के लिए उसे अपने पात्र में बंद कर दिया था। 52 वीरों और 64 जोगनियों को अपने वश में कर लिया था। वे अपने गुरु वल्लभसागर सूरी महाराज के पाठ पर विराजे थे। उन्हें युगप्रधान की पदवी मिली थी। उन्होंने कई बार संघ की रक्षा की। समय-समय पर भक्तों के कष्टों का निवारण किया। लाखों लोगों को जिनशासन से जोड़ा। छह जुलाई को पहले दादा जिनदत्त सुरी महाराज की 871वीं स्वर्गारोहण जयंती के अवसर पर कार्यक्रम हुए। श्री पार्श्वनाथ जिनालय में सुबह साढ़े 10 बजे बड़ी पूजा हुई।

(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा

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