विशेष संवाददाता/ कोपल हालन/जयपुर. फिल्म जगत में देओल परिवार का नाम आते ही हिंदी सिने जगत की तीन शख़्सियते याद आ जाती है, जिन्होनें अपने अभिनय के दम पर दर्शकों के दिलों पर लंबे समय से राज कर रखा हैं. आज उन्हीं में से एक लेजेंड एक्टर धर्मेन्द्र के बेटे बॉबी देओल की बात करेगे, जिन्हें हाल ही में उनकी वेब सीरीज आश्रम के लिए दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया है.
बॉबी का जन्म पंजाब में 27 जनवरी, 1967 को हुआ था और उनका नाम विजय सिंह
देओल रखा गया था. उनके पिता धर्मेद्रं पहले ही एक प्रसिध्द अभिनेता हैं, और उनकी स्टेप मदर हेमा मालिनी भी
बॉलीवुड की ज़बरदस्त अदाकारा रह चुकी है. बॉबी ने फिल्म इंडस्ट्ररी में जुड़ने से
पहले डीजे में अपना हाथ अजमाया था पर कुछ कारणों के चलते उन्हें इसे क्विट करना
पड़ा. फिल्मी दुनिया में जूनियर कलाकार के रूप में सन् 1997 में फिल्म धरम वीर में उन्हें देखा
गया जिसे हम उनके करियर की शुरूआत कह सकते है.
धमेंद्र के बेटे होने ने कारण उनके ऊपर फिल्म जगत में
प्रवेश करते ही अभिनय में खुद को निखारना और नाम कायम रखने की ज़िम्मेदारिया आ गई
थी. इसी के साथ उन्होनें सन् 1995 में फिल्म बरसात से अपने करीयर की
शुरूआत की जिसमें उन्हें मुख्य भुमिका निभाने का मौका मिला. शूटिंग के दौरान बॉबी
के पैरो में चोट लग गई थी, इस वजह से अभी
तक उनके पैरों में रॉड लगी हुई है जिसके चलते पहली फिल्म के दौरान उन्हे लंदन जाना
पड़ा था. अपने इलाज के कारण वो अपनी पहली फिल्म का प्रचार भी नहीं कर पाए थे जिसके
बावजूद भी फ़िल्म ब्लॉकबस्टर साबित हुई. इसी के साथ बॉबी ने अपना पहला फिल्मफ़ेयर
अवार्ड बेस्ट मेल डेब्यू के रूप में हासिल किया.
अभिनेता धमेंद्र की पहली पत्नि प्रकाश कौर के बेटे बॉबी ने
सन् 30 मई 1996 में प्रसिद्ध भारतीय बैंकर देव आहूजा
की बेटी तान्या के साथ अपने वैवाहिक जीवन की शुरूआत की. बॉबी ने
काजोल और मनीषा कोइराला के साथ सन् 1997 में आई दूसरी ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘गुप्त’ की. जिसके बाद की फिल्में प्यार हो गया और करीब बॉक्स ऑफिस पर
फ्लॉप रही और फिर प्रीति जिंटा के साथ 1998 में आई सोल्जर ने फिर से सीनेमा घरों
में धमाल मचा दिया.
अपने 25 साल के करीयर में बॉबी ने कई फिल्में की लेकिन बड़े परदे
पर बहुत कम ने ही रंग बिख़ेरा. ऐक्शन के लिए जाने-जाने वाले देओल ने बादल, बिच्छू, अजनबी और हमराज जैसी फिल्में की थी
जिसके बाद अपने को दूसरे किरदारो में अजमाने के लिए दोस्ती: फ्रेंड्स फॉर एवर (2 5)
और हमको तुमसे प्यार है (2 6)
जैसी फिल्मों में एक
रोमांटिक अभिनेता के रूप में लवर इमेज बनाने कि की, लेकिन दर्शकों को एक्शन वाले बॉबी से
अलग की उम्मीदें थीं जिसके लिए उन्हें फिर से अपने एक्शन जॉनर में लौट कर आना
पड़ा.
2013 में आई यमला पगला दीवाना-2 की रिलीज़ के बाद उन्होनें फिल्म
उघोग से चार साल का ब्रेक ले लिया था. जिसके बाद सन् 2019 में अपनी 2 करोड़ क्लब की सुपरहिट हाउसफुल से
फैंस के दिल पर फिर से छा गए. एक इंटरवयु में बॉबी के अपने कारीयर के रीस्टार्ट के
पीछे अपने दो बेटें आर्यमान और धरम को बताया. उनका कहना था कि ‘जब मैं काम नहीं कर रहा था और मेरे
बच्चे सोच रहे थे कि ‘पापा हमेशा घर में रहते हैं’ तब उन्होनें लोगो के सामने खुद को फ़िर से लाने का मन बनाया.
फिल्म हाउसफुल के बाद नेटफ्लिक्स पर आई उनकी फिल्म ’83 की कक्षा’’ ने सुर्खिया बटोरी और फिर आई वेबसीरीज़
आश्रम में नकारात्मक किरदार निभाया जिसे लोगों ने सराहा भी और जिसके लिए उन्हें
दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी नवाज़ा गया है. ये उनके करियर का सबसे ज़्यादा
नाम कमाने वाली और सबसे अधिक देखे जाने वाली सीरीज है.
बॉबी ने दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड जीत कर फिर साबित किया खुद को, जानिए उनके संघर्ष से जुड़ा हर पहलू .