Uttar Pradesh

देशविरोधी जयचंदों से सावधान रहने की जरूरत : अनुराग शर्मा

संबोधित करते सांसद
कार्यक्रम में सांसद व कुलपति
महारानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा का अनावरण करते सांसद कुलपति

वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति का अनावरण, बुवि के हिन्दी विभाग में बुंदेली विरासत दीर्घा का उद्घाटन

झांसी, 19 नवंबर (Udaipur Kiran) । झांसी की रानी वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई के जन्मदिवस के अवसर पर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त हिन्दी विभाग परिसर में बुधवार को एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि झांसी-ललितपुर के सांसद अनुराग शर्मा ने रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा का अनावरण किया तथा नवनिर्मित बुंदेली विरासत दीर्घा का औपचारिक उद्घाटन भी किया। इस ऐतिहासिक दिन मुख्य अतिथि सांसद अनुराग शर्मा ने कहा रानी लक्ष्मीबाई का बलिदान सिर्फ भारत ही नहीं पूरे विश्व के लिए प्रेरणास्रोत है। रानी लक्ष्मीबाई का चरित्र युवा शक्ति को देशभक्ति और समर्पण का रास्ता दिखाता है। लक्ष्मीबाई को याद करते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग अपने पूर्वजों के बलिदान और संस्कार को भूल जाते हैं वो समाज और देश बर्बाद हो जाते हैं।

उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि हम सबको देशविरोधी जयचंदों से सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा ऐसी गुलाम मानसिकता वाली देश विरोधी ताकतों से देश की युवा शक्ति ही देश काे सुरक्षा दे पायेगी। रानी लक्ष्मीबाई का जीवन केवल इतिहास का हिस्सा नहीं, बल्कि सदियों तक प्रेरणा देने वाला प्रकाश स्तंभ है। देश की शिक्षा नीति, संस्कृति और नालंदा विश्वविद्यालय को इन्हीं जयचंदों ने बर्बाद किया। उन्होंने कहा मैकाले की नीति ने देश की गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को तबाह करने का किया। देश की विरासत, रीतिरिवाज, बोली, भाषा, शिल्पकला और देशी व्यंजन देश को एकसूत्र में बांधते हैं।

उन्होंने कहा कि रानी ने अपने साहस, दूरदृष्टि और नेतृत्व से भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को शुरुआती स्वरूप प्रदान किया, जो हर भारतीय के मन में स्वाभिमान और देशभक्ति जगाने का कार्य करता है। सांसद शर्मा ने बुंदेली विरासत दीर्घा के शुभारंभ पर विश्वविद्यालय को नई उचाईयों पर पहुंचाने की सराहना करते हुए कहा कि यह पहल बुंदेलखंड की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने का प्रशंसनीय प्रयास है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मुकेश पांडेय ने कहा कि रानी लक्ष्मीबाई अदम्य साहस, राष्ट्रनिष्ठा और नारी और युवा शक्ति की अनूठी प्रतिमूर्ति हैं। कुलपति प्रो. मुकेश पांडेय ने सभी युवाओं से आह्वान किया कि उन्हें अपने अंदर राष्ट्रीय चरित्र, राष्ट्रीय समर्पण और राष्ट्रभक्ति जरूर विकसित करना चाहिए। उन्होंने कहा बुंदेलखंड की परंपराओं और संस्कारों को सींचने का काम बुन्देली विरासत दीर्घा करेगी।

कुलपति ने बुंदेली विरासत दीर्घा की स्थापना को क्षेत्रीय संस्कृति को संरक्षित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताते हुए कहा कि यह दीर्घा विद्यार्थियों के लिए शोध, अध्ययन और सांस्कृतिक समझ का एक जीवंत केंद्र सिद्ध होगी।

कार्यक्रम में कला संकायाध्यक्ष एवं हिंदी विभागाध्यक्ष तथा बुंदेली विरासत दीर्घा के निदेशक प्रोफेसर पुनीत बिसारिया ने स्वागत एवं धन्यवाद भाषण देते हुए कहा कि यह दिन न केवल विश्वविद्यालय के लिए, बल्कि पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए गौरव का क्षण है।

इस अवसर पर विभाग के विद्यार्थियों ने रानी लक्ष्मीबाई के जीवन पर आधारित नाटक, ‘मणिकर्णिका और झलकारी’ मंचित किया, जिसमें रानी की वीरता, संघर्ष और मातृभूमि के लिए उनके बलिदान को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया। इसके साथ ही चित्रकला, लोकगीत, वाचन और नृत्य सहित विभिन्न कला विधाओं की प्रस्तुतियों ने समूचे वातावरण को सांस्कृतिक रंगों से सराबोर कर दिया। विद्यार्थियों की प्रस्तुतियों को उपस्थित जनों ने उत्साहपूर्वक सराहा।

कार्यक्रम में डॉ नीति शास्त्री, डॉ प्रदीप कुमार तिवारी, परीक्षा नियंत्रक राज बहादुर, वित्त अधिकारी प्रमोद कुमार सिंह, कुलानुशासक प्रो आर के सैनी, सहायक कुलसचिव रविन्द्र शर्मा, प्रोफेसर मुन्ना तिवारी, डॉ अचला पाण्डेय, डॉ श्रीहरि त्रिपाठी, डॉ नवीन चंद पटेल, डॉ बिपिन प्रसाद, डॉ सुनीता वर्मा, डॉ प्रेम लता, डॉ सुधा दीक्षित, डॉ राघवेन्द्र दीक्षित, , डॉ अभिषेक कुमार, डॉ. आशीष दीक्षित,आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन पर्वत कुमार और रक्षा पटेल ने किया तथा डॉ नवीन चन्द पटेल ने सभी के प्रति आभार ज्ञापित किया।

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(Udaipur Kiran) / महेश पटैरिया