
कानपुर, 19नवंबर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में कल्याणपुर स्थित छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय में आचार्य विद्यासागर सुधासागर जैन शोध पीठ की ओर से सप्तदिवसीय राष्ट्रीय विद्वत संगोष्ठी के दूसरे दिन ‘नय का स्वरूप एवं व्यावहारिक उपयोगिता’ विषय पर ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में द्वितीय दिवस में बतौर मुख्य वक्ता लाल बहादुर शास्त्री केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली के जैन दर्शन विभाग के सुप्रसिद्ध विद्वान प्रो. अनेकांत जैन की उपस्थिति रही। यह जानकारी बुधवार को संगोष्ठी के कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए निदेशक प्रो.अशोक कुमार जैन ने दी।
प्रो. अनेकांत जैन ने वर्तमान में नय की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नय ज्ञान के बिना वस्तु स्वरूप का ज्ञान नहीं हो सकता। परमार्थ एवं लोक व्यवहार के लिए नय या दृष्टिकोण की महती आवश्यकता है। उन्होंने जैन दर्शन में सम्यक एकांत एवं मिथ्या एकांतों का विश्लेषण किया। साथ ही अभिप्राय को समझने की आवश्यकता पर बल दिया। नयदृष्टि विहीन को वस्तु का परिज्ञान नहीं हो सकता।
संगोष्ठी के कार्यक्रम की अध्यक्षता निदेशक प्रो. अशोक कुमार जैन ने किया। संचालन शोध पीठ के प्राध्यापक आचार्य राहुल जैन ने किया। मंगलाचरण शैली जैन ने किया तथा आभार-ज्ञापन प्राध्यापक डॉ. कोमलचंद्र जैन ने किया।
(Udaipur Kiran) / मो0 महमूद