
मथुरा, 25 नवम्बर(Udaipur Kiran) । वृंदावन के विख्यात संत स्वामी प्रेमानंद महाराज अपने शिष्यों के साथ मंगलवार सुबह 8ः15 पर गोकुल स्थित ठकुरानी गोविंद घाट पर पहुंचे। सभी श्रद्धालुओं के साथ यमुना जी का पूजन कर दुग्धाभिषेक किया। इसके बाद नंद भवन नंद कला मंदिर पहुंचे और भगवान बाल कृष्ण के दर्शन कर उन्हें माखन मिश्री का भोग लगाया और झूला भी झुलाया। उन्होंने कहा यह पवित्र स्थली है जहां पर भगवान श्रीकृष्ण का बाल्यकाल व्यतीत हुआ है। इस दौरान संत के आगमन से पूरा गोकुल भक्ति और उल्लास में नजर आया।
संत प्रेमानंद महाराज मंगलवार सुबह लगभग 8ः30 बजे गोकुल पहुंचे। उनके आगमन से पूरे क्षेत्र में भक्तिमय वातावरण छा गया। महाराज ने सबसे पहले ठाकुरानी घाट पर यमुना महारानी का दूध चढ़ाकर और दंडवत प्रणाम किया तथा गोकुल के पुरोहितों ने मंत्रोच्चारण के साथ विशेष विधि-विधान से यमुना पूजन संपन्न कराया। संत के अचानक पहुंचे काफिले को देखने के लिए स्थानीय लोग, भक्त और अनुयायी बड़ी संख्या में घाट पर एकत्र हो गए। भीड़ बढ़ने पर स्थानीय पुलिस ने पहुंचकर सुरक्षा व्यवस्था संभाली। यमुना पूजन के बाद संत महाराज का काफिला नंद बाबा के भवन, नंद किला मंदिर पहुंचा। यहां उन्होंने नंद बाबा, यशोदा मैया, बलराम जी, रेवती मैया, योगमाया और पालने में विराजमान बाल गोपाल श्रीकृष्ण के दर्शन किए।
संत प्रेमानंद महाराज ने साष्टांग दंडवत प्रणाम कर श्रद्धापूर्वक बाल गोपाल के पालने को झुलाया। ठाकुर जी के दर्शन कर महाराज भाव-विभोर हो गए। मंदिर में दीपू पुजारी ने उनका स्वागत किया और उन्हें गोकुल की महिमा तथा श्रीकृष्ण जन्म की कथा सुनाई। पुजारी ने यह भी बताया कि भगवान श्रीकृष्ण गोकुल कैसे पहुंचे। दीपू पुजारी ने विस्तार से बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा कारागार में हुआ था। कंस के अत्याचार और भय के कारण वासुदेव जी नवजात कृष्ण को सूप में रखकर यमुना नदी पार करते हुए कोयले घाट से गोकुल लाए थे। यहां उन्होंने नंद बाबा और यशोदा मैया के घर जन्मी कन्या के स्थान पर श्रीकृष्ण को रखा। यह घटना इसलिए घटी, क्योंकि भविष्यवाणी थी कि देवकी की आठवीं संतान कंस का वध करेगी। कंस इसी भय से देवकी की हर संतान को जन्म के बाद मार देता था, लेकिन आठवीं संतान कृष्ण को वासुदेव ने सुरक्षित गोकुल पहुंचाया, जहां उनका बाल रूप में पालन-पोषण हुआ। संत प्रेमानंद महाराज के आगमन से पूरे गोकुल में दिनभर भक्ति और उल्लास का माहौल बना रहा। भक्तों ने अपने मोबाइल कैमरों में संत महाराज के दर्शन और पूजन के दृश्यों को कैद किया। महाराज का यह दौरा गोकुलवासियों के लिए एक आध्यात्मिक उत्सव का अवसर बन गया।
(Udaipur Kiran) / महेश कुमार