
कानपुर, 24 नवंबर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में कल्याणपुर स्थित छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के परिसर स्थित आचार्य विद्यासागर सुधासागर जैन शोध पीठ में 18 से 24 नवंबर तक भारतीय संस्कृति को जैन न्याय की उपयोगिता विषय पर संगोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन हुआ। यह जानकारी सोमवार को कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शोध पीठ के निदेशक प्रो. अशोक कुमार जैन ने दी।
शोध पीठ के निदेशक प्रो. अशोक कुमार जैन ने बताया कि संगोष्ठी में बी.एल. इंस्टीट्यूट, दिल्ली के निदेशक प्रो विजय कुमार जैन बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित रहे।
निदेशक प्रो. विजय कुमार जैन ने बौद्ध न्याय की रूपरेखा’ विषय पर महत्वपूर्ण वक्तव्य देते हुए कहा कि हमें संसार, शरीर एवं भोगों की अनित्यता पर विचार बौद्धदर्शन में प्राप्त है। हम कैसे दुखों से निर्वाण को प्राप्त करें। यह बौद्धदर्शन के चिन्तन का महत्त्वपूर्ण आयाम है। हमें दृष्टि में परिवर्तनशीलता को दृष्टिगत करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बौद्धदर्शन के विकास में प्राचीन आचार्यों की जैसे दिङनाग धर्मकीर्ति, प्रलाकगुप्त तथा वर्तमान में पंडित केशव मिश्र, मोक्ष कर तथा उपाध्याय यशो विजय की तर्क भाषाओं का तुलनात्मक दृष्टि से अध्ययन कर समाज में दर्शन के क्षेत्र में अपनी दृष्टियों के साथ सहिष्णुता एवं समन्वय के सूत्रों को बताना चाहिए। उन्होंने बौद्ध दर्शन के चार आर्य सत्यों के साथ मिल कर, प्रज्ञाशील एवं समाधि के मार्ग को निरुपित कर जन-जन का कल्याण किया है।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शोध पीठ के निदेशक प्रो. अशोक कुमार जैन ने कहा कि इस ज्ञान यज्ञ में जिन विद्वानों ने महत्वपूर्ण आलेखों को प्रस्तुत किया, उन्होंने सभी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। शोध-पीठ के न्यासी सीए अरविंद कुमार जैन ने शैक्षणिक कार्यक्रमों को सम्पन्न कराने के लिए सभी सुविधाएं प्राप्त कराने के लिए स्वीकृति दी।
कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक, प्रति-कुलपति सुधीर कुमार अवस्थी के प्रति हार्दिक कृतज्ञता के साथ पीठ में कार्यक्रम का संयोजन राहुल जैन, डॉ. कोमलचंद्र जैन तथा जितेन्द्र ने सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।
(Udaipur Kiran) / मो0 महमूद