Madhya Pradesh

जबलपुर: एसआईआर में एक नजर इस पर भी, बरेला के हिनोतिया में रह रहे संदिग्धों की ग्रामवासियों ने की जाँच की मांग

Demand for investigation of suspects living in Hinotia of Barela

जबलपुर, 21 नवंबर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश में जबलपुर के बरेला थाना क्षेत्र स्थित हिनोतिया गांव में कुछ समय से सरकारी जमीन पर डेरा डालें कुछ लोगों पर बांग्लादेशी या रोहिंग्या होने का शक गांव वालों ने जताया है। जिसको लेकर बाकायदा थाने एवं तहसीलदार के पास शिकायत की गई है, परंतु कई माह हो गए अभी तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

दरअसल, हिस टीम जब इन शिकायतों की जांच करने पहुंची तो अनेक विसंगतियां सामने आईं। उन संदिग्ध लोगों से जब पूछताछ की गई तो उन्होंने अपने को बंजारा बताया। पर कुछ सवालों के उत्तर में संदिग्धता स्पष्ट समझ मे आई। ऐसे कई सवाल है जिनका जवाब शायद न प्रशासन के पास है एवं न ही वोट पाने वाले राजनेताओं के पास। इनसे बातचीत के दौरान सामने आये महत्वपूर्ण सवालों में जैसे, प्राप्त वोटर लिस्ट में स्पष्ट दिख रहा है कि मुस्लिम नाम जोड़े गए हैं जिनको हिंदू संगठनों एवं क्षेत्रीय ग्राम वासियों के विरोध के बाद काटा गया। इन वोटर लिस्ट में आप स्पष्ट देख सकते हैं कि जो व्यक्ति अपने आप को पप्पू बंजारा बता रहा है उसके परिवार में महिलाओं एवं बच्चे सब की वल्दियत में पप्पू खान चढ़ा हुआ है।

ग्राम वासियों के अनुसार यदि जांच की जाए तो पप्पू बंजारा नहीं बल्कि उसका असली नाम पप्पू खान है, जिसे आसपास के लोग सलमान के नाम से जानते हैं। हमारी टीम के आने की खबर उनको ऊपर पठारी क्षेत्र में पहले से लग गयी जिसको देखकर कुछ लोग वहां से नदारत हो गए।

एक और महत्वपूर्ण बात वहां उनके बीच उनके मुखिया कथित पप्पू बंजारे का कहना है कि वे लोग पिछले 50 साल से जबलपुर में हैं। वह पिछले 20-25 साल से वोट डालता आ रहा है। उसके पास आधार कार्ड वोटर आईडी सब है। उसको सारी सुविधाएं यहां तक की गैस भी मिली हुई है। वे सब लाड़ली लक्ष्मी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं, जबकि मध्य प्रदेश में लाखों ऐसी मातृ शक्ति हैं जो विभिन्न कारणों से इन योजनाओं से वंचित हैं। तमाम विसंगतियों के बाद इनको यह योजनाएं दी जा रही है। आखिर वह कौन लोग हैं जो इनको पोस रहे हैं, इसकी भी जांच होना चाहिए।

एक महत्वपूर्ण बात यह है कि यह पिछले 50 साल से जबलपुर में रहना बता रहे हैं जबकि एक तरफ यह कब्जा कर पठारी क्षेत्र पर झोपड़ी बना कर रह रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उनके डेरे में लग्जरी फोर व्हीलर भी खड़ी हुई है। उनसे इस बाबत जब पूछा गया कि यह गाड़ियां कहां से आई है, तो उनका कहना था कि यह उन्होंने लोन पर उठायीं हैं।

विचारणीय बात है कि जिनका कोई स्थाई निवास नहीं है उनको लोन सुविधा मिलना शासकीय सुविधा मिलना अपने आप में संदिग्धता प्रदर्शित करता है। इनके डेरे में बड़ी मात्रा ने कटे हुए पेड़ और लकड़ियों का ढेर मिला है आखिर यह कहां से आई। पूछने पर इनका कहना है कि इनको ग्राम पंचायत से ठेका मिलता है, उसमें यह पेड़ काटते हैं। वह पेड़ लाकर यहां रखते हैं। जबकि ग्रामवासियों ने उनकी इस बात को नकार दिया। जाहिर है कि वन विभाग की मिलीभगत से यह सब चल रहा है। ग्राम वासियों का कहना है कि इनको मुश्किल से चार-पांच महीने पहले से देखा गया है।

विश्व हिंदू परिषद के नीरज मिश्रा ने बताया कि यह लोग जो अपने को बंजारा बता रहे हैं इन पर संपूर्ण ग्राम वासियों को शक है कि यह रोहिंग्या या बांग्लादेशी मुसलमान है क्योंकि इनका नाम वोटर लिस्ट में जो जोड़ा गया था उनमें सभी मुस्लिम थे। जब क्षेत्रीय जनों ने विरोध किया तो सरपंच द्वारा वह नाम काट दिए गए। हिंदू संगठनों एवं क्षेत्रीय जनों ने इस वोटर लिस्ट को साक्ष्य के तौर पर अपने पास रखा है।

एक बड़ा सवाल यह भी है कि जब इनका कोई स्थाई निवास नहीं है,तो इनको नाली बनाने,सड़क बनाने एवं अन्य ठेके कौन उपलब्ध करवा रहा है। इतना ही नहीं शासकीय जमीन को जिस साहस के साथ पहाड़ी के ऊपर समतल कर कई अस्थाई डेरा बनाया हैं उससे यह संदिग्ध साबित होते हैं।

गांव वालों ने इनके ऊपर चोरी एवं अन्य अपराधों को करने का आरोप लगाने के साथ मीडिया को कुछ वीडियो फुटेज भी सौंपे हैं,जिनमें यह चोरी करते हुए दिख रहे हैं। इनको मिलने वाले राजनीतिक संरक्षण एवं पुलिस की शिथिलता के चलते न केवल देश की सुरक्षा से खिलवाड़ हो रहा है बल्कि किसी दिन बड़ी वारदात को भी अंजाम दिया जा सकता है।

वही जब इस बाबत सरपंच से संपर्क करने का प्रयास किया तो सरपंच जवाब देने से बचते रहे। इसके साथ ही जब थाने में संपर्क किया तो थाना प्रभारी का कहना था कि मेरी नियुक्ति अभी हुई है। इसके बाद अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सूर्यकांत शर्मा से बात की गई तो उन्होंने मामले की गंभीरता को समझते हुए शीघ्र ही संपूर्ण जांच करने के लिए बोला।

सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण और देश का हृदय कहलाने वाले जबलपुर में 6 सुरक्षा संस्थान मौजूद है जो कि अपने आप में संवेदनशील है। उसके बावजूद जबलपुर में इस तरह के बाहरी और संदिग्ध लोगों की बसाहट कहीं ना कहीं सुरक्षा में चूक को साबित करती है। जबकि ये सर्व विदित है कि पिछले कुछ समय से जबलपुर में न केवल एटीएस बल्कि एनआईए ने बड़ी कार्रवाई की थी एवं यहां से कुछ संदिग्ध पकड़े भी गए हैं। सिमी जैसे संगठनों की सक्रियता भी यहाँ खुफिया एजेंसियों को मिली हैं। उसके बावजूद इस तरह की निष्क्रियता कहीं सुरक्षा से चूक तो नहीं।

संदिग्ध गतिविधि में रहने वाले लोग आखिर कैसे बच जाते हैं इन पर लोगों का शक है कि यह बांग्लादेशी है जिसकी जांच होना परम आवश्यक है। वैसे भी जबलपुर अपराधियों के लिए सबसे सॉफ्ट क्षेत्र माना जाता है। पिछले दशकों से बड़ा इतिहास रहा है कि, चाहे बड़े आर्थिक अपराध हो या संगठित अपराध बाहरी लोग आकर जबलपुर में वारदातों को अंजाम देते हैं एवं चले जाते हैं, और फिर चलती है उनकी जांच पर जांच और केवल जांच…..

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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक