Uttar Pradesh

बीएचयू के युवा मुद्राशास्त्री प्रतिष्ठित आईएनएसए अवॉर्ड के लिए चयनीत

फोटो प्रतीक

—विश्वविद्यालय से गैर-विज्ञान संकाय के पहले शोधकर्ता जिन्हें यह सम्मान मिलेगा

वाराणसी, 21 नवंबर (Udaipur Kiran) । वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कला संकाय स्थित प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग के सेंटर ऑफ एडवांस्ड स्टडी में वरिष्ठ सहायक आचार्य डॉ. अमित कुमार उपाध्याय को प्रतिष्ठित आईएनएसए अवॉर्ड के लिए चयनीत किया गया है।

उपाध्याय को वर्ष 2025 के आईएनएसए हिस्टोरियन साइंटिस्ट यंग एसोसिएट अवॉर्ड दिया जाएगा। यह सम्मान 40 वर्ष से कम आयु के उन शोधकर्ताओं को प्रदान किया जाता है जिन्होंने वैज्ञानिक अनुसंधान में असाधारण योगदान दिया हो। विश्वविद्यालय के जनसम्पर्क कार्यालय के अनुसार डॉ. उपाध्याय को भारत में कम्प्यूटेशनल न्यूमिस्मैटिक्स की अग्रणी शोध-परंपरा के लिए जाना जाता है, जिसके माध्यम से उन्होंने प्राचीन भारतीय सिक्कों के अध्ययन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिजिटल इमेज प्रोसेसिंग और मशीन लर्निंग जैसी अत्याधुनिक तकनीकों को शामिल किया। उनके शोध ने मुद्रा अनुसूची, पारंपरिक विधियों की सीमाएं और प्राचीन जाली सिक्कों की पहचान जैसी दीर्घकालिक चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत किया है। कम्प्यूटेशनल शोध के साथ-साथ, डॉ. उपाध्याय ने आधुनिक स्पेक्ट्रोस्कोपिक तकनीकों का उपयोग करते हुए वैज्ञानिक मुद्रशास्त्रीय अध्ययन के क्षेत्र को भी महत्वपूर्ण रूप से आगे बढ़ाया है। प्रारंभिक आहत सिक्कों (600–200 ई.पू.) पर उनके अध्ययन ने धातु मिश्रण तकनीक, सिक्कों में घटती रजत (चाँदी) मात्रा से प्रतिबिंबित आर्थिक परिस्थितियों तथा सिक्का निर्माण प्रौद्योगिकी के विकास जैसे महत्त्वपूर्ण पहलुओं को उजागर किया है। उनके हालिया शोध-पत्र और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय जर्नलों में प्रकाशित सामग्री ने मुद्रा शास्त्र में अंतरविषयक अनुसंधान के बढ़ते महत्व को वैश्विक स्तर पर रेखांकित किया है। यह पुरस्कार एक वर्ष के लिए प्रति माह 10,000 की फेलोशिप तथा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन सहभागिता हेतु एक बार का विदेशी यात्रा अनुदान प्रदान करता है। भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के अध्यक्ष प्रो. अशुतोष शर्मा ने डॉ. उपाध्याय की विशिष्ट क्षमता और उभरते शोध क्षेत्रों में उनके नेतृत्व की सराहना की। डॉ. उपाध्याय ने अपने शोध को प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने ऑटोमेटेड क्वायंस एनालिसिस के वैश्विक विकास तथा प्राचीन भारतीय सिक्कों की व्यापक डिजिटल कॉर्पस तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया। 36 शोध लेख, छह पुस्तकें, चौदह संपादित संकलन तथा छियालिस से अधिक व्याख्यान एवं शोध-प्रस्तुतियों के साथ डॉ. उपाध्याय राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर एक महत्वपूर्ण शोधकर्ता के रूप में स्थापित हो चुके हैं। वे भारतीय मुद्रा परिषद् (एनएसआई) के संयुक्त सचिव भी हैं।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी