
बाराबंकी, 20 नवंबर (Udaipur Kiran) । महादेवा महोत्सव में गुरुवार को देश के नामी गिरामी कवियों ने पाठ कर श्रोताओं को खूब आनंदित किया। कवियों ने देर रात तक अपनी कविता से श्रोताओं को बांधे रखा। उद्घाटन पूर्व विधायक शरद अवस्थी, पूर्व एम एल सी हरि गोबिंद सिंह, ब्लॉक प्रमुख लकी सिंह,शोभना अवस्थी ने दीप प्रज्वलन कर किया।
कवि सम्मेलन की शुरुआत कवि प्रियांशु गजेंद्र ने मां शारदे की वंदना से की। कवि डॉ. विष्णु सक्सेना ने जब ‘रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा एक आई लहर कुछ बचेगा नहीं सुनाया तो पंडाल में बैठे श्रोता रोमांचित हो उठे। नैनीताल से आई कवियत्री गौरी मिश्रा ने पढ़ा ‘घुटन को छोड़ शहरों की हमारे गाँव आयी है, मुहब्बत दूर से चलकर के नंगे पाँव आयी है’ तो खूब तालिया बजी।
कवियत्री अनामिका अंबर जैन ने जब सुनाया ‘अगर तुम भी नहीं हमसे तो फिर हम भी नही तुमसे,कोई ख़ुशियाँ नहीं तुमसे कोई ग़म भी नहीं तुमसे’ तो लोगों की तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा पंडाल गूंज उठा। कवि नीलोत्पल मृणाल के माइक संभालते ही श्रोताओं ने तालिया की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया। उन्होंने पढ़ा हम मिट्टी के लोग हैं बाबू, मिट्टी ही सदा उड़ाएंगे, मिट्टी के बने मिट्टी में सने, फिर मिट्टी के हो जाएंगे सुनाया तो पंडाल में बैठे श्रोता तालियां बजाने पर मजबूर हो गए।
वहीं कवि विकास बौखल ने फेसबुक पर फेस बुक किया उसका, तो मन के बगीचे में मयूरी बन नाची है सुना कर लोगों को खूब गुदगुदाया। इसके बाद कवि अखिलेश द्विवेदी ने पढ़ा हम अपना दर्द बाटें या न बाटें, भुलाकर सारे ग़म अपने सभी के संग ख़ुशी बाँटे।गाजियाबाद से आये कवि मोहित सौर्य ने गाया ज़िंदगी जीने के जुनून तक जाएगा,मेहनत के पसीने और ख़ून तक जाएगा तो लोगों में देश भक्ति की भावना जागृति हुई। बनारस से आये कवि दान बहादुर सिंह ने पढ़ा तुम्हें ये ध्यान रखना था ज़रा ईमान रखना था,कहानी में तुम्हें अपनी मेरा सम्मान रखना था। कवि लोकेश त्रिपाठी ने पढ़ा कोई चीज़ कोई नहीं दूसरी चाहिए, बात जिसकी हुई थी वही चाहिए।
(Udaipur Kiran) / पंकज कुमार चतुवेर्दी