
-मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दी बधाई
श्योपुर, २० नवंबर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान श्योपुर में भारतीय मूल की मादा चीता ‘मुखी’ ने पांच स्वस्थ शावकों को जन्म दिया है। यह उपलब्धि भारत के चीता पुनर्वास के लिए एक ऐतिहासिक सफलता मानी जा रही है। कूनो राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन के अनुसार मादा चीता मुखी और उसके सभी शावक पूरी तरह स्वस्थ हैं। यह पहली बार है जब भारत में जन्मी किसी मादा चीता ने देश की धरती पर सफल प्रजनन किया है। लगभग 33 महीने की मुखी अब प्रोजेक्ट चीता की पहली ऐसी मादा चीता बन गई है। जिसने पांच शावकों को जन्म देकर संरक्षण प्रयासों की सफलता को मजबूती दी है।
मादा चीता मुखी द्वारा जन्मे गए शावकों को लेकर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोशल मीडिया पर इस उपलब्धि को साझा करते हुए लिखा है कि यह उपलब्धि भारत में एक आत्मनिर्भर, स्थिर और आनुवंशिक रूप से विविध चीता जनसंख्या स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे देश के दीर्घकालिक संरक्षण लक्ष्यों को बल मिलेगा और वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में भारत की वैश्विक छवि मजबूत होगी। मुख्यमंत्री ने कूनो राष्ट्रीय उद्यान की टीम और वन विभाग को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए बधाई दी है। भारत में चीतों की कुल संख्या 32 हो गई है। जिनमें से 29 चीते मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में हैं जबकि तीन चीते गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में रखे गए हैं। यह संख्या चीता पुनर्वास परियोजना की स्थिरता को प्रदर्शित करती है। नामीबियाई मादा चीता ज्वाला की संतान मुखी का सफल प्रजनन इस उपलब्धि का केन्द्र है। मुखी द्वारा पांच शावकों को जन्म देना न केवल संख्या बढ़ाता है बल्कि यह भी स्थापित करता है कि भारत में जन्मी चीता यहां के पर्यावरण में सफलतापूर्वक प्रजनन कर सकती है।
तीसरी पीढ़ी के लिए अधिक प्रतिकूल रहेगा कूनो का वातावरण: कूनो राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन के अनुसार मादा चीता मुखी द्वारा जन्मे गए शावक भारत में चीता की तीसरी पीढ़ी के कहलाएंगे। यह तीसरी पीढ़ी के शावक भारत की धरती पर पैदा हुई मां मुखी की संतान है जो इन्हें भारतीय वातावरण के साथ बेहतर तालमेल बिठाने में मदद करेगी क्योंकि वह जन्म के साथ यहां के मौसम से अनुकूलन कर रही है। इनका प्राकृतिक रूप से यहां जन्म लेना चीता प्रोजेक्ट की बड़ी सफलता है।
(Udaipur Kiran) / शरद शर्मा