
स्वास्थ्य विभाग खुद जूझ रहा असाध्य बीमारी से, जिला चिकित्सालय की कमर टूटी
अनूपपुर, 20 नवंबर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले का स्वास्थ्य विभाग गंभीर समस्याओं का सामना कर रहा है। एक वर्ष में तीन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का बदलना और स्वास्थ्य सेवाओं की खराब स्थिति चिंताजनक है। कई बार शिकायतें आती हैं कि स्वास्थ्य सेवाएं ठीक से नहीं मिल रही हैं, अस्पतालों में सुविधाओं की कमी है और मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग की कमियों के और भी कई मामले सामने आए हैं। कभी पेयजल का मामला, कभी गन्दगी का मामला, डॉक्टर्स का ड्यूटी से नदारद रहने का मामला सामने आते रहे हैं। सूत्रों की माने तो चिकित्सालयों की सुदृढ़ नियामक व्यवस्था नहीं है, जिससे मरीजों की सुरक्षा और उपचार व्यवस्था पर खतरे की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है। कई बार स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही उजागर हुई है, यह भी तथ्य है की पिछले वर्षों में कोई नियम उल्लंघन का मामला दर्ज नहीं किया गया, न ही कोई दंडात्मक कार्रवाई की गई है।
स्वास्थ्य विभाग में अस्थिरता
अहंकार और कर्तव्य की लड़ाई में अक्सर अधिकारी कर्मचारियों अपने कर्तव्यों को भूल आपसी प्रतिद्वंदिता के अहंकार ने उन्हें अपने कर्तव्यों से दूर किया हैं। अनूपपुर स्वास्थ्य विभाग में एक वर्ष में तीन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का बदलना स्वास्थ्य विभाग की अस्थिरता को दर्शाता है। जिससे स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होती रही हैं साथ ही स्टाफ की कमी है, जिससे मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है। आयुष्मान कार्ड बनाने में अनूपपुर प्रदेश भर में तीसरे स्थान पर है, बावजूद इसके स्वास्थ्य सेवाओं की खराब स्थिति चिंताजनक है।
फेरबदल से स्वास्थ्य सेवाऐं प्रभावित
पदस्थापना और फेरबदल स्वास्थ्य विभाग ने समस्याओं को दूर करने के लिए आवश्यक माना हो पर स्वास्थ्य विभाग का यह कदम कितना कारगर है समय ही बताएगा। ऐसे कोई सन्देह नहीं कि एक जगह पर वर्षो से जमे अधिकारी- कर्मचारी स्वास्थ्य सेवा के सफल क्रियान्वयन को प्रभावित करने की ताकत रखते हैं। स्वास्थ्य विभाग ने स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए कई पहल की हैं, जैसे कि स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन और मरीजों को मुफ्त दवाएं प्रदान करना। स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए कई अन्य योजनाएं भी हैं। प्रशासनिक फेरबदल कितना सफल होगा यह भी बड़ा सवाल है।
नई सीएमएचओ से उम्मीदें
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. आरके वर्मा हमेशा सुर्खियों में रहें है। बीते 27 -28 सालों की सेवा में कोतमा में बीएमओ के पर भी रहे। बताया जाता है कि बीएमओ पद पर रहते हुए डॉक्टर वर्मा पर कई बार आरोप लगे। सूत्र बताते हैं कि यह तब जांच के घेरे में आए जब इनकी पदस्थापना सीएमएचओ पद पर हुई, अपनी बेपरवाह कार्यशैली और फक्कड़ पान के लिए जाने जाते रहे हैं। राजनीतिक व्यक्तियों, जनप्रतिनिधियों के निशाने पर रहे ,आरोपों में कितनी सच्चाई थी यह तो आरोप लगाने वाले ही बता सकते हैं पर इतना तो जरूर कहा जा सकता है की डॉक्टर वर्मा हमेशा सुर्खियों में रहे हैं। सीएमएचओ पद पर पदस्थ होते उनके बीएमओ कार्यकाल के दौरान लगे आरोपों की चर्चा होने लगी थी एक समय वह भी आया जब लापरवाही और लचर कार्यशैली के आरोप में कलेक्टर ने उन्हें उनके पद से पद मुक्त कर दिया था इसके बाद उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश प्राप्त कर पुनः सीएमएचओ पद पर काबिज होने में सफल रहें।
स्वास्थ्य सेवाएं होंगी प्रभावित
जिला चिकित्सालय चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा हैं ऐसे में स्त्री रोग विशेषज्ञ को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बनने से जिला चिकित्सालय की कमर टूट जायेगी। डॉक्टर अल्का तिवारी एक अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं इनकी कमी से कि जिला चिकित्सालय की सेवाओं पर सीधा असर पड़ेगा। जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में लगभग 80-90 प्रसूति के मामले आते हैं,पहले दो विशेषज्ञ सेवा दे रहे थे अब सिर्फ एक विशेषज्ञ और एक सहायक के मत्थे पूरा अस्पताल रह गया है।
(Udaipur Kiran) / राजेश शुक्ला