


सीतापुर, 20 नवंबर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद की धर्मभूमि नैमिषारण्य और ऐतिहासिक सूर्यकुंड, लहरपुर में गुरुवार को मार्गशीर्ष (अगहनी) अमावस्या पर आस्था उमड़ पड़ी। भोर की पहली किरण से लेकर अपरााह्न 3 बजे तक श्रद्धालुओं का सैलाब दोनों ही तीर्थस्थलों पर दिखाई दिया। वहीं चक्रतीर्थ, गोमती तट और रुद्रावर्त पर मेला जैसा माहौल रहा, तो सूर्यकुंड के शांत जल में पवित्र डुबकी लगाने को भक्तों की लंबी कतारें दिखीं।
नैमिषारण्य में चक्रतीर्थ-घाटों पर स्नान-दान का जारी रहा सिलसिला
मार्गशीर्ष अमावस्या को पितृ अमावस्या भी कहा जाता है और इसी मान्यता के साथ नैमिषारण्य में बुधवार की शाम से ही श्रद्धालुओं का आगमन शुरू हो गया था। चक्रतीर्थ, राजघाट, दशाश्वमेघ घाट, देवदेवेश्वर घाट तथा रुद्रावर्त पर सुबह से ही लंबी-लंबी कतारें लगी रहीं। भक्तों ने पवित्र स्नान के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया और पितरों के निमित्त दान-दक्षिणा कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके पश्चात मां ललिता देवी के दरबार में श्रद्धालुओं ने हाजिरी लगाई और परिवार कल्याण व मंगलकामना की प्रार्थना की।
इसके अलावा तीर्थ क्षेत्र के अन्य प्रमुख स्थलों में व्यासगद्दी, सूतगद्दी, हनुमानगढ़ी, कालीपीठ, सत्यनारायण मंदिर, बालाजी, त्रिशक्ति धाम, चार धाम, नारदानंद तथा हरिहरानंद स्थानों पर भी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी।
सूर्यकुंड मंदिर में भक्ति का चरम, पवित्र डुबकी लगाने उमड़े श्रद्धालु
लहरपुर स्थित प्राचीन सूर्यकुंड मंदिर में सुबह से ही श्रद्धा की लहरें उमड़ रही थीं। मंत्रोच्चार, घंटियों की ध्वनि और हवन की सुगंध से पूरा परिसर भक्तिमय हो उठा। श्रद्धालुओं ने सूर्यकुंड में डुबकी लगाने के बाद भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया और अगहनी अमावस्या पर विशेष पूजा-अर्चना की। कामेश्वरनाथ धाम में भी दर्शनार्थियों की भारी भीड़ रही। मंदिर के पुजारी विनोद गोस्वामी ने बताया कि मार्गशीर्ष अमावस्या पर भगवान शिव की आराधना से पितृदोष शांत होता है और परिवार में सुख-शांति का वास होता है।
पूरे दिन रहा धार्मिक उत्सव का माहौल
हरगांव के सूर्यकुंड परिसर में मेले जैसा दृश्य रहा, जहां श्रद्धालुओं ने पारंपरिक प्रसाद, खिलौने और अन्य वस्तुओं की खरीदारी की। सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस बल मुस्तैद रहा, जिससे भक्त निर्भय होकर पूजा-अर्चना में शामिल होते रहे। नैमिषारण्य के चक्रतीर्थ से लेकर सूर्यकुंड के पावन जल तक, मार्गशीर्ष अमावस्या का यह पावन दिन जनपद सीतापुर में आस्था, संस्कृति और आध्यात्मिक ऊर्जा का अद्भुत संगम बनकर यादगार बन गया।
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(Udaipur Kiran) / Mahesh Sharma