
झाबुआ, 18 नवंबर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के जनजातीय बाहुल्य झाबुआ जिले के थांदला नगर की निवासिनी, नारी शक्ति को सम्मान जनक आयाम प्रदान करने वाली, सरल ह्रदय एवं जीवन के अंतिम काल में श्री रामनाम का उच्चारण करते हुए पंच भौतिक शरीर का परित्याग करने वाली दिव्यतम अध्यात्मविभूति, श्रीमती गुलाबदैवी शर्मा की सत्रहवीं पुण्यतिथि पर मंगलवार को थांदला में आयोजित एक धार्मिक आयोजन में श्रीमती गुलाब देवी का पुण्य स्मरण करते हुए उन्हें सादर श्रद्धांजलि समर्पित की गई। उल्लेखनीय है कि गुलाब देवी जिले के मूर्धन्य आयुर्वेदज्ञ डॉ. विश्वनाथजी शर्मा की धर्मपत्नी थीं।
उल्लेखनीय है कि सत्रह वर्ष पूर्व मार्गशीर्ष कृष्ण चतुर्दशी तिथि, तदनुसार 8 दिसम्बर 2008 के दिन धर्मारूढ़ श्रीमती गुलाबदेवी ने राम नाम का उच्चारण करते हुए पंच भौतिक शरीर का परित्याग किया था, अतः प्रतिवर्ष उनकी दिव्य स्मृति में उनकी पूजा स्थली में विशेष पूजा-अर्चना कर एवं पुण्य स्मरण कर उन्हें श्रद्धांजलि समर्पित की जाती है। इस वर्ष भी उनकी 17 वी पुण्यतिथि के अवसर पर नगर के प्राचीनतम श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर में मंगलवार को आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में उनकी पूजा स्थली श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर में भगवान् की विधिवत पूजा अर्चना कर गौदेवी को ग्रास प्रदान किया गया, और उन्हें श्रद्धांजलि समर्पित करते हुए ईश्वर से उनकी आत्मशान्ति हेतु प्रार्थना की गई।
गुलाबदेवी की पुण्यतिथि पर थांदला नगर के श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर में विधिपूर्वक पूजा अर्चना कर उनका पुण्य स्मरण किया गया। इस अवसर पर भगवान् की पूजा अर्चना कर श्रीवविष्णुसहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ किया गया तदुपरांत नाम महामंत्र हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे का कीर्तन किया गया, ओर अंत में समस्त साधन का पुण्य फल गुलाबदेवी को समर्पित किया गया। मंदिर परिसर में आयोजित धार्मिक आयोजन में आज दोपहर उनके निमित्त श्रीमद्भगवद्गीता के पन्द्रहवे अध्याय एवं पितृस्तोत्र का पाठ कर गुलाबदैवी को श्रद्धांजलि समर्पित की गई, और ब्राह्मण भोजन उपरांत गौ देवी को ग्रास प्रदान किया गया।
पुण्यतिथि के अवसर पर गुलाबदेवी को उनके गृह ग्राम सुखेड़ा जिला रतलाम सहित झाबुआ, क्षिप्रा, राजेन्द्र नगर, उज्जैन एवं होशंगाबाद में भी श्रद्धांजलि समर्पित किए जाने के समाचार मिले हैं। उक्त सभी स्थानों पर परमपिता परमेश्वर से उनकी आत्मशान्ति हैतु प्रार्थना की गई।
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(Udaipur Kiran) / डॉ. उमेश चंद्र शर्मा