
उज्जैन, 17 नवंबर (Udaipur Kiran) । चरित्र निर्माण और व्यक्तित्व का समग्र विकास शिक्षा का आधारभूत लक्ष्य है। इसमें अनेक विषयों का समावेश है। देश में शिक्षा पंचकोश के आधार पर दी जानी चाहिए। यह बात शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने मध्यप्रदेश के उज्जैन प्रवास के दौरान कही।
आपने बताया कि न्यास भारत में राष्ट्र केंद्रित और विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा के लिए राष्ट्र व्यापी कार्य कर रहा है। डॉ. कोठारी ने बताया कि न्यास द्वारा इस विषय पर पाठ्यक्रम और पुस्तकों का निर्माण किया गया है। भारतीय ज्ञान परंपरा को मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा अंगीकृत किया गया है। भारतीय ज्ञान परंपरा के देश में विभिन्न विश्वविद्यालयों में केंद्र स्थापित हुए हैं। राय विश्वविद्यालय रांची में आर्यभट्ट केंद्र की स्थापना हुई है। गुजरात के गणपत विश्वविद्यालय तथा तकनीकी विश्वविद्यालय में भी भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्रों की स्थापना हुई है।
उन्होंने कहा, हमारा आग्रह है कि इंडियन नॉलेज सिस्टम के स्थान पर भारतीय ज्ञान परंपरा शब्द का उपयोग होना चाहिए। आपने कहा कि पंचकोश का तृतीय उपनिषद में भी उल्लेख है। भारत में विद्यालय से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक पाठ्यक्रमों में पंचकोश लागू होना चाहिए। जहां भी पंचकोश आधारित शिक्षा दी जाने लगी है वहां पर शिक्षा में आमूल चूल परिवर्तन दिखाई देने लगा है। हमारे कई प्रतिमान केंद्रों पर बिना शिक्षक परीक्षा होती है।
राज्यों की भूमिका महत्वपूर्ण
डॉ. कोठारी ने कहा कि न्यास ने उच्च शिक्षा के ऐसे पाठ्यक्रमों का निर्माण किया है जिसमें 50 प्रतिशत थ्योरी और 50 प्रतिशत प्रैक्टिकल को रखा गया है। पंचकोश आधारित रसायन केंद्र की स्थापना उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय में आज से होने जा रही है। न्यास का यह प्रयास है कि हर विश्वविद्यालय भारतीय ज्ञान परंपरा के एक-एक विषय पर काम करे। देश के 1200 विश्वविद्यालय में एक-एक विषय पर काम होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी हॉलिस्टिक अप्रोच की बात कही गई है। डॉ. कोठारी ने कहा कि शिक्षा नीति को केंद्र सरकार द्वारा जारी किए पांच वर्ष हो गए हैं। इसे क्रियान्वित करने में राज्यों की भूमिका महत्वपूर्ण है। कुछ राज्यों में इसे सफलतापूर्वक लागू किया गया है। न्यास का मूल विषय वर्तमान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्रियान्वयन है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर विश्वविद्यालय स्तर पर काम हो रहा है।
जमीनी स्तर पर हो रहा कार्य
डॉ. कोठारी ने कहा कि महाविद्यालय स्तर पर काम करने के लिए टास्क फोर्स की स्थापना होना चाहिए। राजस्थान के बांसवाड़ा एवं सीकर विश्वविद्यालय ने अपने अधीन समस्त महाविद्यालय में शिक्षा नीति को क्रियान्वित किया है। आपने कहा कि शिक्षा से आत्मनिर्भरता के लिए कौशल विकास की बात शिक्षा नीति में की गई है। इसे जमीनी स्तर पर कैसे क्रियान्वित करना है इस दिशा में कार्य हो रहा है। डॉ. कोठारी ने कहा की कौशल विकास के लिए स्थानीय आवश्यकता को ध्यान में रखना जरूरी है। पारिवारिक पृष्ठभूमि से कौशल विकास को जोड़ा जाना चाहिए। हमारे विद्यार्थियों को पारिवारिक व्यवसाय के सम्मान का भाव आना जरूरी है। कौशल विकास में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आवश्यकता को ध्यान में रखना भी जरूरी है। एआई और कंप्यूटर का ज्ञान हमारे छोटे गांव के बच्चों तक पहुंचना भी आवश्यक है। न्यास द्वारा यह काम झाबुआ के शारदा समूह द्वारा किया जा रहा है।
सभी राज्यों में हो रही ज्ञान सभा
डॉ. कोठारी ने कहा कि न्यास द्वारा केरल में आयोजित ज्ञान सभा के अनुभव के आधार पर सभी राज्यों में ज्ञान सभा आयोजित की जा रही है। ज्ञान सभा में शिक्षा पर चिंतन मनन होगा। आगामी दिनों में ज्ञान सभा मध्य भारत के इंदौर, छत्तीसगढ़ के भिलाई, उत्तर भारत के दिल्ली, गुजरात के मेहसाणा, महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित होने जा रही है। ज्ञान सभा का उद्देश्य शिक्षा जगत के कार्यों को एक मंच पर लाना और मिलकर काम करने की भावना उत्पन्न करना है।
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(Udaipur Kiran) / ललित ज्वेल