Madhya Pradesh

पन्ना के हीरों को मिला जीआई टैग, विश्व बाजार में बढ़ेगी पहचान

हीरों की फाइल फोटो

पन्‍ना, 15 नवंबर (Udaipur Kiran) । पन्ना का नाम अब सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में चमकने जा रहा है। प्रदेश के पन्ना जिले के हीरों को कंट्रोलर जनरल ऑफ पेटेंट, डिजाइन एंड ट्रेडमार्क, चेन्नई द्वारा भौगोलिक संकेतक (जीआई टैग) प्रदान किए जाने की आधिकारिक घोषणा हो गई है। इस मान्यता के साथ पन्ना डायमंड प्रदेश का 21वां जीआई टैग प्राप्त उत्पाद बन गया है। इससे पन्ना के हीरे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमाणित और विशिष्ट ब्रांड के रूप में स्थापित होंगे, जिससे व्यापार, मार्केटिंग और प्रतिष्ठा में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद है।

विश्व बाजार में नई पहचान

भारत में जीआई टैग प्रणाली वर्ष 2003 में लागू हुई थी और तब से अब तक कई विशिष्ट उत्पादों को यह मान्यता दी जा चुकी है। नवीनतम सूची में शामिल पन्ना के हीरों को अब वैश्विक बाजार में विश्वसनीयता का नया दर्जा मिलेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि जीआई टैग मिलने से पन्ना के हीरों की मार्केट वैल्यू बढ़ेगी और निर्यात में भी वृद्धि की संभावनाएँ हैं।

पन्ना की खदानों की विशिष्टता

पन्ना की खदानों से तीन श्रेणी के हीरे निकलते हैं, जैम क्वालिटी का सफेद हीरा, ऑफ कलर यानी हल्का मैला रंग, इंडस्ट्रियल क्वालिटी का कोका-कोला रंग हीरा। इन हीरों का मूल्यांकन और कीमत तय करना हीरा कार्यालय के विशेषज्ञ पारखियों द्वारा चमक, संरचना और गुणवत्ता के आधार पर किया जाता है। जीआई टैग मिलने के बाद इन श्रेणियों की प्रामाणिकता को वैश्विक स्तर पर कानूनी मान्यता भी मिलेगी।

प्रदेश को मिलेगा सीधा लाभ

विशेषज्ञों के अनुसार, जीआई टैग से पन्ना के हीरों की पहचान अंतरराष्ट्रीय बाजार में मजबूत होगी। इससे विदेशी व्यापार में वृद्धि, रोजगार के नए अवसर और जिले की अर्थव्यवस्था में मजबूती आएगी। प्रदेश के खनिज संसाधनों को भी वैश्विक मंच पर विशेष पहचान मिलेगी। उल्‍लेखनीय है कि जीआई टैग किसी उत्पाद की भौगोलिक विशेषता का कानूनी प्रमाण होता है। यह पुष्टि करता है कि किसी उत्पाद की गुणवत्ता, संरचना या पारंपरिक विशेषताएँ विशेष रूप से उसी क्षेत्र से संबंधित हैं। इस मान्यता के बाद कोई अन्य क्षेत्र समान नाम से व्यापार नहीं कर सकता, जिससे पन्ना के हीरों की ब्रांड वैल्यू सुरक्षित रहेगी।

इस तरह से मिला जीआई टैग

इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के पीछे जिला प्रशासन और तकनीकी संस्थाओं की संयुक्त पहल रही। ह्यूमन वेलफेयर सोसाइटी, वाराणसी ने आवेदन प्रक्रिया, दस्तावेजीकरण और तकनीकी सहायता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तत्कालीन कलेक्टर द्वारा वर्ष 2023 में आवेदन किया गया था। 7 जून 2023 को GI टैग के लिए आवेदन को मंजूरी मिली। यह पूरी प्रक्रिया लगातार प्रयासों, परीक्षण और दस्तावेज़ सत्यापन के बाद पूर्ण हुई।

भविष्य में व्यापक संभावनाएँ

जीआई टैग मिलने के बाद पन्ना के हीरों की बौद्धिक संपदा सुरक्षित हो गई है। अब यह ब्रांड वैश्विक स्तर पर औपचारिक रूप से पहचाना जाएगा, जिससे हीरा व्यापार में पारदर्शिता बढ़ेगी। नकली हीरों पर अंकुश लगेगा। विदेशी निवेश के अवसर बढ़ेंगे। स्थानीय खनन उद्योग और उससे जुड़े श्रमिकों को आर्थिक लाभ होगा। उम्‍मीद है कि पन्ना के हीरे अब वैश्विक बाजार में भारत की शान बनकर चमकेंगे।

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(Udaipur Kiran) / सुरेश पांडे