Madhya Pradesh

लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर के बेटे ने कर्ज से बचने के लिए रची अपने ही अपहरण की साजिश, गिरफ्तार

लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर के बेटे ने कर्ज से बचने के लिए रची अपने ही अपहरण की साजिश, पुलिस ने किया गिरफ्तार

मंदसौर, 14 नवंबर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के मंदसाैर जिले में पुलिस ने फिरौती के लिए रची गई एक फर्जी अपहरण योजना का मात्र 24 घंटे में खुलासा कर बड़ी सफलता हासिल की है। पुलिस ने कथित अपहृत हर्षल जैन को सुरक्षित बरामद करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि दो आरोपी अभी भी फरार हैं।

शुक्रवार को प्रेस वार्ता में जानकारी देते हुए जिला पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार मीना ने बताया कि 13 नवंबर को शामगढ़ निवासी कमल जैन को फोन पर उनके बेटे हर्षल जैन (26) के अपहरण की सूचना दी गई। कॉल करने वालों ने 50 लाख रुपए की फिरौती की मांग की। शिकायत पर थाना शामगढ़ में मामला दर्ज किया गया।

पुलिस द्वारा 7 विशेष टीमों का गठन किया। तकनीकी जांच के लिए साइबर सेल को लगाया गया। एसपी ने बताया कि जांच के दौरान चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि हर्षल जैन कोटा में कूलर जाली निर्माण फैक्ट्री शुरू कर रहा था। एक दोस्त के साथ चाय दुकान भी चलाता था। उस पर लाखों का कर्ज था। कर्ज के दबाव में हर्षल ने अपने दोस्तों गणपत सिंह, जनरेल सिंह और कुलदीप के साथ मिलकर खुद के अपहरण की साजिश रच डाली। योजना के मुताबिक, हर्षल के पिता से 50 लाख की फिरौती लेने का प्लान था, जिसे वे आपस में बांटने वाले थे।

मामला शुरू से ही संदेह में लग रहा था इसलिए पुलिस ने सबसे पहले तकनीकी आधार पर गणपत सिंह को हिरासत में लिया। पूछताछ में पुलिस के सख्त रवैये के कारण वह टूट गया और उसने पूरी कहानी उगल दी। इसके बाद पुलिस ने हर्षल को भी पकड़ लिया। गिरफ्तार आरोपियों में हर्षल जैन, पिता कमल जैन, निवासी शामगढ़, गणपत सिंह, पिता महेंद्र सिंह हाड़ा, निवासी सलमपुर, हिंडोली, जिला बूंदी (राजस्थान) शामिल हैं। वहीं जनरेल सिंह, पिता सुखविंदर सिंह, निवासी बालोला, तहसील हिंडोली, बूंदी और कुलदीप, पिता राजू लाल कहार, निवासी अमरतिया चौराहा, बूंदी फरार हैं। पुलिस तलाश कर रही है। पुलिस के अनुसार, हर्षल ने कोटा में कूलर की जाली बनाने की फैक्ट्री शुरू करने के लिए काफी निवेश किया था, लेकिन आर्थिक संकट और बढ़ते कर्ज ने उसे इस अपराध की ओर धकेल दिया। फिलहाल पुलिस फरार आरोपियों की तलाश में जुटी है।

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(Udaipur Kiran) / अशोक झलोया