Madhya Pradesh

अमेरिका के ट्रैरिफ ने जगाई स्वदेशी की चेतना, अब सरकार भी साथ- सतीश कुमार

स्वदेशी जागरण मंच एवं स्वर्णिम भारत फाउंडेशन के पदाधिकारियों की पत्रकार वार्ता

– दमोह में स्वदेशी मेला, ‘वोकल फॉर लोकल’ की दिशा में बड़ा कदम, स्वदेशी उत्पादों के प्रति जनता में बढ़ा उत्साह

दमोह,13नबम्बर(Udaipur Kiran) । देशभर में इन दिनों स्वदेशी आंदोलन को नए सिरे से गति मिल रही है। इसी क्रम में मध्य प्रदेश के दमोह जिले में भी एक 10 दिवसीय स्वदेशी मेला स्थानीय तहसील ग्राउंड में आरंभ हुआ है। इस मेले का उद्देश्य है भारतीय उत्पादों को बढ़ावा देना, स्थानीय उद्योगों को सशक्त बनाना और आम उपभोक्ताओं में स्वदेशी वस्तुओं के प्रति जागरूकता पैदा करना।

मेले की जानकारी देने के लिए स्वदेशी जागरण मंच और स्वर्णिम भारत फाउंडेशन के पदाधिकारियों ने दमोह के एक होटल में पत्रकार वार्ता आयोजित की। इस दौरान स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सह संगठन स्वदेशी प्रमुख सतीश कुमार ने देश और दुनिया की आर्थिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज भारत में स्वदेशी की भावना पहले से कहीं अधिक प्रबल हो रही है।

उन्होंने कहा कि “अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए ट्रैरिफ ने दुनिया की अर्थव्यवस्था में हलचल मचा दी, लेकिन इसका परिणाम भारत में सकारात्मक रूप से देखने को मिला। ट्रंप की नीति से देश में ‘ग्लोबल’ उत्पादों के प्रति असंतोष बढ़ा और जनता अब स्वदेशी वस्तुएं खरीदने की ओर अग्रसर हुई है।”

अमेरिका के ट्रैरिफ से बदला भारत का दृष्टिकोण

सतीश कुमार का कहना रहा कि अमेरिका ने अपने साथ व्यापार करने वाले 90 से अधिक देशों पर ट्रैरिफ लगाया, जिनमें भारत भी शामिल था। यह कदम अमेरिका के लिए उल्टा साबित हुआ, जहां एक ओर भारत में गुस्सा फूटा, वहीं दूसरी ओर भारतीय सरकार और जनता दोनों स्वदेशी के समर्थन में खड़ी हो गईं। उन्होंने कहा कि “अब भारत आर्थिक रूप से सशक्त स्थिति में है। हम आत्मनिर्भर भारत की दिशा में तेजी से बढ़ रहे हैं। यह वह समय है जब देश के लोग ‘मेड इन इंडिया’ को गर्व से अपनाने लगे हैं।”

ग्लोबलाइजेशन पर चोट, स्वदेशी का पुनर्जागरण

सतीश कुमार ने कहा, “1995 में जिस ग्लोबलाइजेशन की वकालत अमेरिका ने की थी, उसी नीति को आज वही देश पलट रहा है। यह हमारे लिए बड़ी सीख है कि विदेशी उत्पादों पर निर्भरता लंबे समय तक देश की अर्थव्यवस्था के लिए घातक सिद्ध हो सकती है।” उन्होंने बताया कि स्वदेशी जागरण मंच वर्ष 1991 से लगातार स्वदेशी की वकालत कर रहा है। “34 वर्षों से हम यही कहते आ रहे हैं कि आत्मनिर्भरता ही सशक्त भारत की नींव है। आज हमारे प्रयास रंग ला रहे हैं और देश भर में इस तरह के 105 स्वदेशी मेले आयोजित किए जा रहे हैं।”

सरकार की नीतियों और आर्थिक स्थिति पर विचार

पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए सतीश कुमार ने कहा, “अमेरिका के ट्रैरिफ और भारत में जीएसटी दरों में कटौती के बाद बाजार में इस बार अभूतपूर्व रौनक देखी गई। ऑटोमोबाइल से लेकर कपड़ा उद्योग तक, हर क्षेत्र में भारतीय उत्पादों की बिक्री बढ़ी है। यह संकेत है कि स्वदेशी अब केवल विचार नहीं, बल्कि उपभोक्ता की पसंद बन गया है।”

उन्होंने आगे कहा कि “1991 में जब संगठन ने शुरुआत की थी, तब न केवल विपक्ष बल्कि अपने लोग भी संदेह में थे। कई बार हमें अपने समर्थकों से भी खुला समर्थन नहीं मिला। परंतु अब परिस्थिति बदल चुकी है। आज सरकारें भी ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की नीति को आगे बढ़ा रही हैं।” एक प्रश्‍न के उत्‍तर में सतीश कुमार ने मुस्कराते हुए कहा, “अगर अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने इतना बड़ा ट्रैरिफ न लगाया होता, तो शायद आज स्वदेशी को इतना जनसमर्थन नहीं मिलता। किसी मायने में हमें उनके इस कदम के लिए धन्यवाद देना चाहिए।”

निजीकरण पर उनका दृष्टिकोण

एक अन्‍य प्रश्न के उत्तर में यहां उनका कहना था कि निजीकरण हर जगह गलत नहीं है, कुछ क्षेत्रों में इसके सकारात्मक परिणाम देखे गए हैं। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि “एयर इंडिया लंबे समय से घाटे में थी, लेकिन जब टाटा समूह ने इसे संभाला, तो वह तेजी से लाभ की ओर अग्रसर हो गई। सरकारों को व्यवसाय करने के बजाय नीतियां बनाने पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि उद्योग का कार्य उद्योगपतियों का है।”

“स्वदेशी खरीदें, जैसे कोई उत्सव मना रहे हों”

स्वर्णिम भारत फाउंडेशन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी साकेत कुमार ने कहा कि हमें स्वदेशी उत्पादों की खरीद को एक उत्सव की तरह मनाना चाहिए। उन्होंने कहा, “जब हम अपने कारीगरों, श्रमिकों और लघु उद्योगों के उत्पाद खरीदते हैं, तब हम केवल वस्तु नहीं, बल्कि किसी भारतीय परिवार की खुशहाली खरीदते हैं।” उन्होंने बताया कि स्वदेशी उत्पादों की बढ़ती मांग से रोजगार सृजन, ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती और आर्थिक आत्मनिर्भरता जैसे अनेक सकारात्मक प्रभाव सामने आएंगे।

उल्‍लेखनीय है कि दमोह में आयोजित यह मेला एक व्यापारिक आयोजन तो है ही इसके साथ यह एक सांस्कृतिक और आर्थिक चेतना का उत्सव है। इसमें स्वदेशी संकल्प यात्राएं, प्रचार रैलियां, महिला एवं युवा सशक्तिकरण कार्यक्रम, दौड़ प्रतियोगिता और लोक कला प्रदर्शन जैसे कई आयोजन शामिल हैं। मेले में ग्रामीण कारीगरों, सूक्ष्म उद्यमियों और स्थानीय उत्पादकों के स्टॉल लगाए गए हैं। हस्तनिर्मित वस्तुएं, देशी खिलौने, जैविक उत्पाद, वस्त्र, कृषि उपकरण और घरेलू सामानों की बिक्री के लिए प्रदर्शनी लगाई गई है।

कार्यक्रम में स्वदेशी जागरण मंच के पदाधिकारी कपिल मलैया, दमोह मेला संयोजक डॉ. सोनल राय, मेला प्रमुख बृजेंद्र राठौर, और मेला पालक दीपक तिवारी सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित रहे। सभी ने सामूहिक रूप से यह संदेश दिया कि भारत तभी मजबूत होगा, जब उसका हर नागरिक स्वदेशी अपनाएगा।

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(Udaipur Kiran) / हंसा वैष्णव