Madhya Pradesh

उज्जैन में भैरव अष्टमी पर भगवान काल भैरव की राजसी वैभव के साथ निकली सवारी

महाकाल के सेनापति काल भैरव ने किया नगर भ्रमण

उज्जैन, 13 नवंबर (Udaipur Kiran) । मध्‍य प्रदेश में आस्था की नगरी उज्जैन में गुरुवार अपरांह एक अद्भुत दृश्य देखने को मिला, जब भगवान महाकाल के सेनापति श्रीकाल भैरव पालकी में विराजमान होकर नगर भ्रमण पर निकले। पूरे शहर में जय-जयकार के स्वर गूंज उठे और भक्तों ने फूल वर्षा कर भगवान का स्वागत किया। यह परंपरा उज्जैन की धार्मिक पहचान और ऐतिहासिक गौरव दोनों को एक साथ प्रदर्शित करती है।

भैरव मंदिर परिसर में पालकी यात्रा से पहले पारंपरिक विधि-विधान के साथ भगवान काल भैरव का विशेष पूजन किया गया। इस अवसर पर भगवान को सिंधिया रियासतकाल की परंपरा के अनुरूप राजसी पगड़ी धारण करवाई गई। यह प्राचीन परंपरा उज्जैन की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक मानी जाती है। पालकी पूजन का सौभाग्य जिला कलेक्टर रौशन कुमार सिंह को प्राप्त हुआ। उन्होंने मंदिर परिसर में विधिवत पूजा-अर्चना कर भगवान की आरती की। इसके बाद पालकी को राजसी सम्मान देते हुए गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया। मंदिर परिसर में गूंजते ढोल-नगाड़ों, शंखध्वनि और “जय काल भैरव” के उद्घोष से वातावरण भक्तिमय हो उठा।

भैरवगढ़ क्षेत्र में हुआ नगर भ्रमण

पालकी में विराजमान होकर भगवान काल भैरव ने अपने क्षेत्र भैरवगढ़ का भ्रमण किया। यह क्षेत्र धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है और भगवान काल भैरव का यह वार्षिक भ्रमण भक्तों के लिए शुभ और मंगलदायक अवसर होता है। भ्रमण के दौरान केंद्रीय जेल, भैरवगढ़ के मुख्य द्वार पर एक विशेष दृश्य देखने को मिला। यहाँ जेल अधीक्षक और बंदियों ने मिलकर पालकी का स्वागत किया। जेल के भीतर से भी बंदियों ने दर्शन किए और भगवान से आशीर्वाद की कामना की। यह दृश्य मानवता और भक्ति का अनोखा संगम बन गया।

जगह-जगह भक्तों ने भगवान काल भैरव की पालकी का पुष्पवर्षा से स्वागत किया। भैरवगढ़, सिद्धवट और अन्य क्षेत्रों में छोटे-छोटे मंचों पर भजन-संकीर्तन का आयोजन किया गया। महिलाओं ने थाल में दीप जलाकर आरती उतारी और बच्चों ने ढोल-मांदल की थाप पर नृत्य किया। कई भक्तों ने इस पल को अपने जीवन का “पवित्रतम क्षण” बताया। उज्जैनवासी हर वर्ष इस परंपरा का बेसब्री से इंतजार करते हैं, क्योंकि यह आयोजन भक्ति, अनुशासन और उत्सव की भावना को एक सूत्र में पिरो देता है।

शिप्रा तट पर सिद्धवट पहुंचे भगवान

नगर भ्रमण का अगला पड़ाव था शिप्रा नदी तट स्थित सिद्धवट क्षेत्र। यहाँ भगवान काल भैरव की पालकी का अत्यंत श्रद्धा से स्वागत किया गया। भक्तों ने नारियल, पुष्प, और दीपों से पूजन किया। पंडितों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भगवान का अभिषेक और आरती की गई। शिप्रा तट की ठंडी हवाओं और गूंजते भैरव नाम के जयघोष ने वातावरण को अलौकिक बना दिया। पूजन-अभिषेक के पश्चात पालकी यात्रा पुनः मंदिर प्रांगण लौटी, जहाँ भक्तों की भीड़ पहले से ही दर्शन के लिए उमड़ पड़ी थी।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

उल्‍लेखनीय है कि भैरव अष्टमी के अवसर पर होने वाली यह यात्रा उज्जैन की प्राचीन परंपरा का हिस्सा है। मान्यता है कि भगवान महाकाल के सेनापति काल भैरव नगर की रक्षा करते हैं और इस दिन नगर भ्रमण के माध्यम से वे अपने भक्तों का आशीर्वाद देते हैं। इस सवारी में सहभागी होना अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है। मंदिर समिति के अनुसार, इस यात्रा में प्रशासनिक अधिकारी, स्थानीय जनप्रतिनिधि, साधु-संत और हजारों भक्त शामिल हुए। सवारी के मार्ग पर सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता थी। पुलिस बल, नगर निगम और स्वयंसेवकों ने मिलकर पूरे कार्यक्रम को सुव्यवस्थित तरीके से संपन्न कराया।

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(Udaipur Kiran) / ललित ज्‍वेल