

निरंकारी मिशन की मानवता एवं एकत्व
की भावना सराहनीय: राज्यपाल
सोनीपत, 1 नवंबर (Udaipur Kiran) । समागम
का शुभारंभ सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने कहा कि अपने वास्तविक स्वरूप को पहचानने
के लिए परमात्मा का ज्ञान आवश्यक है, क्योंकि ब्रह्मबोध से ही आत्मबोध सम्भव है। यह बात उन्हाेंने शनिवार काे समालखा-गन्नौर हल्दाना बॉर्डर स्थित निरंकारी आध्यात्मिक स्थल पर चार दिवसीय समागम में प्रवचन देते हुए कही। 78वें निरंकारी
सन्त समागम में प्रेम, भक्ति और मानवता के संदेश गूंजायमान हुए।
देश-विदेश से आए लाखों
श्रद्धालु आत्ममंथन विषय पर केंद्रित इस आयोजन में सम्मिलित हुए।सतगुरु माता जी ने
स्पष्ट किया कि संसार में अनेक धर्म और आस्थाएँ हैं, पर सबका लक्ष्य एक ही सत्य निराकार
परमात्मा को पाना है। जब मनुष्य इस एकत्व के भाव को समझता है, तब विरोध, अहंकार और
भेदभाव मिट जाते हैं। उन्होंने कहा कि आत्ममंथन का अर्थ भीतर की यात्रा है, जो बाहरी
नहीं बल्कि आध्यात्मिक प्रक्रिया है। भौतिक उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने
कहा कि मनुष्य जिस सुख, पद या संबंधों के पीछे भाग रहा है, वे सभी अस्थाई हैं। केवल
परमात्मा स्थायी है, वही भीतर-बाहर सर्वत्र विद्यमान है। जैसे स्विच ऑन करते ही अंधकार
मिट जाता है, वैसे ही ब्रह्मज्ञान से अज्ञानता का अंधकार तुरंत दूर हो जाता है।
सतगुरु
माता जी ने कहा कि आत्ममंथन का अर्थ आत्मविवेचन है अपनी गलतियों को स्वीकार कर उन्हें
सुधारना। जब मनुष्य निरंकार की उपस्थिति में नम्रता और समर्पण से जीता है, तभी उसका
जीवन प्रेम और भक्ति से भर जाता है। इस अवसर पर हरियाणा के राज्यपाल आशिम कुमार घोष
अपनी अर्धांगिनी सहित समागम में पहुंचे। उन्होंने सतगुरु माता सुदीक्षा जी एवं निरंकारी
राजपिता जी से आशीर्वाद प्राप्त किया और निरंकारी मिशन की मानवता एवं एकत्व की भावना
की सराहना की। राज्यपाल ने सेवादल के अनुशासन, समर्पण और सेवा-भाव की प्रशंसा करते
हुए कहा कि यह अनुकरणीय उदाहरण है।
समागम
के दूसरे दिन का शुभारंभ भव्य सेवादल रैली से हुआ, जिसमें भारत और विदेशों से हजारों
सेवादल बहन-भाईयों ने भाग लिया। व्यायाम, नाटिका, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और मिशन
की शिक्षाओं पर आधारित कार्यक्रमों के माध्यम से सेवा-भाव की अभिव्यक्ति की गई। सतगुरु
माता जी ने रैली में उपस्थित स्वयंसेवकों को आशीर्वाद देते हुए कहा भक्त तो हर समय
सेवादार होता है, पर वर्दी धारण करते ही उसकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। सेवा केवल
दूसरों के लिए नहीं, मानवता के उत्थान के लिए होनी चाहिए। रैली
के प्रारंभ में सतगुरु माता जी एवं निरंकारी राजपिता जी ने शांति के प्रतीक मिशन के
श्वेत ध्वज का आरोहण किया। सेवादल इंचार्ज विनोद वोहरा जी ने विश्वभर के स्वयंसेवकों
के लिए सतगुरु के चरणों में आशीर्वाद की कामना की। जब मनुष्य ब्रह्मबोध को जीवन में
उतार लेता है, तभी आत्मबोध और सच्ची भक्ति सम्भव होती है।
(Udaipur Kiran) शर्मा परवाना