शिमला, 1 नवंबर (Udaipur Kiran) । प्रदेश सरकार ने कर्मचारियों के हित में एक और बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता मेंशनिवार को हुई उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 15 मई, 2003 के बाद नियमित हुए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को अब उनकी दैनिक सेवा अवधि का लाभ पेंशन गणना में दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने बताया कि नए निर्णय के अनुसार ऐसे कर्मचारी जिन्होंने पांच वर्ष की दैनिक सेवा की है, उन्हें एक वर्ष की नियमित सेवा के बराबर लाभ पेंशन की गणना में दिया जाएगा। वहीं जिन कर्मचारियों की 10 वर्ष या उससे अधिक की दैनिक सेवा रही है, उन्हें अधिकतम दो वर्ष की नियमित सेवा के बराबर लाभ प्रदान किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार का उद्देश्य उन चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को राहत देना है, जिन्हें सेवानिवृत्ति के समय नियमित सेवा की अवधि 10 वर्ष से कम होने के कारण पेंशन का लाभ नहीं मिल सका था। अब यदि ऐसे कर्मचारी पांच वर्ष की दैनिक सेवा के बदले एक वर्ष की नियमित सेवा का लाभ लेकर 10 वर्ष की अर्हक सेवा पूरी कर लेते हैं, तो उन्हें भी पेंशन का अधिकार प्राप्त होगा। यह प्रावधान सीसीएस पेंशन नियम, 1972 के तहत लागू किया जाएगा और इसके अनुसार 10 वर्ष की दैनिक सेवा के बदले अधिकतम दो वर्ष की अर्हक सेवा को मान्यता दी जाएगी।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार इन कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना (ओल्ड पेंशन स्कीम) में शामिल होने का एक और अवसर देगी, ताकि वे इसका लाभ उठा सकें। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के बाद सबसे पहले प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया था, जिससे हजारों सरकारी कर्मचारी लाभान्वित हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार कर्मचारियों के कल्याण और हितों की रक्षा के लिए वचनबद्ध है। सरकार समय-समय पर कर्मचारियों को आर्थिक लाभ देने के साथ-साथ उनके भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए भी संवेदनशील निर्णय ले रही है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों का सहयोग और समर्पण प्रदेश के विकास की नींव है, और सरकार उनकी समस्याओं का समाधान प्राथमिकता के आधार पर करती रहेगी।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा