
जयपुर, 16 सितंबर (Udaipur Kiran) । आश्विन कृष्ण एकादशी बुधवार को इंदिरा एकादशी के रूप में भक्तिभाव से मनाई जाएगी। श्रद्धालु श्री हरि विष्णु का पूजन कर व्रत रखेंगे। एकादशी पर विष्णु भगवान के मंदिरों में विशेष झांकी के दर्शन होंगे। आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में ठाकुर राधा गोविंद का पंंचामृत अभिषेक कर लाल रंग की पोशाक धारण कराई जाएगी। गोचारण लीला के आभूषण और पुष्पों से श्रृंगार किया जाएगा। फलों का भोग लगाया जाएगा।
इंदिरा एकादशी पर बुधवार को सुभाष चौक पानो का दरीबा स्थित श्री शुक संप्रदाय आचार्य पीठ श्री सरस निकुंज में सांझी उत्सव मनाया जाएगा। श्री शुक संप्रदाय पीठाधीश्वर श्री अलबेली माधुरी शरण जी महाराज के सान्निध्य में शाम को गिर्राज पर्वत पूजन की सुंदर सांझी के दर्शन कराए जाएंगे। श्री सरस परिकर के प्रवक्ता प्रवीण बड़े भैया ने बताया कि रियासतकाल में लगभग सभी मंदिरों में शाम को सांझी बनाई जाती थी। अब यह परम्परा कुछ ही मंदिरों तक सीमित है। एकादशी पर बुधवार सुबह ठाकुर श्री राधा सरस बिहारी सरकार का वेदोक्त मंत्रोच्चार के साथ पंचामृत अभिषेक किया जाएगा। ऋतु पुष्पों से श्रृंगार किया जाएगा। शाम को एकादशी के पदों से ठाकुरजी को रिझाया जाएगा।
चौड़ा रास्ता के राधा दामोदर जी, मदन गोपाल जी, त्रिपोलिया गेट के सामने स्थित विनोदी लाल जी, पुरानी बस्ती स्थित गोपीनाथ जी, रामगंज बाजार स्थित लाड़लीजी, गोविंद देवजी मंदिर के पीछे मुरली मनोहर जी सहित अन्य वैष्णव मंदिरों में भी इंदिरा एकादशी उत्सव के रूप में मनाई जाएगी।
एकादशी पर कांवटियों का खुर्रा स्थित प्राचीन श्याम मंदिर, चौगान स्टेडियम, विजयबाड़ी पथ नंबर सात, शास्त्रीनगर, जगतपुरा, मानसरोवर सहित विभिन्न श्याम मंदिरों में खाटू नरेश का दरबार सजाकर कीर्तन किया जाएगा। हमारे घरां पधारो श्याम संस्था की ओर से 17 सितंबर को शाम 7 बजे अग्रवाल फार्म सेक्टर 113 स्थित श्याम पार्क में एक शाम पितरों के नाम अरदास कीर्तन का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर श्याम प्रभु का अनुपम श्रंृगार कर छप्पन भोग की झांकी सजाई जाएगी। मुख्य अतिथि हवामहल विधायक बालमुकुंदाचार्य होंगे। महामंडलेश्वर मनोहर दास महाराज के सानिध्य में प्रिया-प्राची ठाकुर, गोपाल सेन, आदित्य छीपा, शुभम शर्मा, विक्की शर्मा, सागर शर्मा बाबा श्याम का गुणगान करेंगे।
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी ‘इंदिरा एकादशी’ कहलाती है। यह तिथि विशेष रूप से पितृ तर्पण और श्राद्ध कर्म के लिए उत्तम मानी जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन उपवास, पूजा और दीपदान करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
ज्योतिषाचार्य बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार इंदिरा एकादशी पर दीपक जलाने का विशेष महत्व है। तुलसी, भगवान विष्णु को अति प्रिय मानी गई है। पौराणिक मान्यता है कि एकादशी के दिन तुलसी के समीप दीपक जलाने से विष्णुजी तुरंत प्रसन्न होते हैं। जब भगवान विष्णु कृपा करते हैं तो पितरों की आत्मा को भी शांति प्राप्त होती है। इस दिन संध्याकाल में तुलसी के पास दीपक जलाकर रखने से घर में पितृदोष का निवारण होता है।
शास्त्रों में पीपल को सभी देवताओं का वास स्थान कहा गया है। इंदिरा एकादशी पर संध्या समय पीपल वृक्ष के नीचे तिल के तेल या घी का दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है और पितृ ऋण से मुक्ति प्राप्त होती है। साथ ही घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। एकादशी की रात घर के मुख्य द्वार पर दीपक लगाने से पितृ आत्माएं मार्ग नहीं भटकतीं और घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। यह दीपक भगवान विष्णु और पितरों दोनों को प्रसन्न करता है तथा परिवार की रक्षा करता है।
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(Udaipur Kiran)
