Madhya Pradesh

ग्वालियर: कर्म के साथ किसी की चतुराई नहीं चलती: सुबल सागर

सुबल सागर जी महाराज।

ग्वालियर, 18 जुलाई (Udaipur Kiran) । तुम्हारी चतुराई हमारे और तुम्हारे बीच रह सकती है, लेकिन कर्म के साथ किसी की चतुराई नहीं चलती। कर्म का दरबार सत्य का दरबार है। यहां जो जैसा बोया वैसा ही काटना पड़ता है। तिल-तुष मात्र न तो घटता है, न बढ़ता है और न ही बंधे कर्म में अपने अनुसार फेरबदल होता है। यह विचार आचार्य सुबल सागर महाराज ने शुक्रवार को नई सडक़ स्थित चंपाबाग में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

आचार्य श्री ने कहा कि जब व्यक्ति के तीव्र पाप कर्म का उदय होता है तो छोटे-छोटे पुण्यात्मा भी उसके साथ डूब जाते हैं और जब किसी का पुण्योदय होता है तो उसके तीव्र पुण्योदय से अच्छे-अच्छे, छोटे-छोटे पापी भी तर जाते हैं। राजा वसु कभी झूठ नहीं बोलते थे। जब राजा वसु ने एक बार झूठ बोला तो मय सिंहासन के नरक चला गया। एक झूठ राजा को नरक भेज सकता है तो हमारा क्या होगा इस पर चिंतन करना जरूरी है। यह मन की दुर्बलता है। झूठा व्यक्ति ही सदैव भयभीत रहता है, न मालूम कब उसके झूठ का भेद खुल जाए। उन्होंने कहा कि जीवन का शाश्वत सुख प्राप्त करना है तो मन, वचन, कार्य से सत्य आचरण को अपने जीवन में प्रतिष्ठित करने की जरूरत है। प्रवचन से पूर्व आचार्य श्री के चरणों में श्रीफल निर्मल पाटनी, बालचंद्र जैन, कमलेश जैन, विनय कासलीवाल, वीरेंद्र बाबा, पंकज छाबड़ा ने भेंट किए।

(Udaipur Kiran) / शरद शर्मा

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