Uttar Pradesh

सावन में खास है सारंगनाथ महादेव के दर्शन का महत्व, अपने साले संग विराजते हैं शिव

सारंगनाथ महादेव का दरबार
सारंगनाथ महादेव का दरबार

—गर्भगृह में दो शिवलिंग के दर्शन,एक शिवलिंग आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित

वाराणसी,14 जुलाई (Udaipur Kiran) । सावन मास का पावन अवसर भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष महत्व रखता है, और जब बात काशी की हो, तो यहां का हर कोना शिवमय हो उठता है। इसी काशी नगरी में स्थित है सारनाथ का प्राचीन सारंगनाथ महादेव मंदिर, जिसका सावन में विशेष महात्म्य माना गया है। यहां मान्यता है कि भगवान शिव सावन भर अपने साले सारंगदेव के साथ उनकी ससुराल में निवास करते हैं।

जमीन से करीब 80 फीट ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर के गर्भगृह में दो शिवलिंग स्थापित हैं — एक स्वयं भगवान शिव का, और दूसरा उनके साले सारंग ऋषि का। कहा जाता है कि इन दो शिवलिंगों में से एक को आदि शंकराचार्य ने स्वयं स्थापित किया था। शिव आराधना समिति के संस्थापक डॉ मृदुल मिश्र बताते हैं कि बाबा विश्‍वनाथ सावन माह भर अपने दरबार को छोड़कर अपने साले सारंगनाथ के यहां रहते हैं। उन्होंने एक कथा का उल्लेख कर बताया कि सारंग ऋषि दक्ष प्रजापति के पुत्र थे। भगवान शिव से सती के विवाह के बाद वह बहन से मिलने ढेर सारे सोने के गहने और स्वर्ण मुद्राएं लेकर काशी आए। उन्हें लग रहा था कि एक अघोरी के साथ उनकी बहन का जीवन कैसे कटेगा। जब वह काशी पहुंचे तो हैरान रह गए। उन्होंने सारनाथ में विश्राम के दौरान सपना देखा कि पूरी काशी सोने की बनी हुई है। वह काशी को देखकर मुग्ध हो गए। इसके साथ ही उन्हें अपने सोच पर ग्लानि हुई। इसके बाद उन्होंने घोर तपस्या की और तपस्या के कारण उनके शरीर पर छाले पड़ गए। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने सारंग ऋषि को दर्शन दिया। सारंग ऋषि ने उनसे अपने साथ रहने का वरदान मांगा तो भगवान शिव ने कहा, पूरे सावन मैं तुम्हारे साथ यहीं पर रहूंगा। सारंगनाथ मंदिर के महंत परिवार का कहना है कि सावन में सारंगनाथ के दर्शन पूजन और जलाभिषेक से उतना ही पुण्य मिलता है, जितना काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन का है। कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति सावन में काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन नहीं कर पाता, वह एक दिन भी यदि सारंगनाथ के दर्शन कर ले तो उसे काशी विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक के बराबर पुण्य मिलेगा।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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