पूर्व बर्दवान, 14 जुलाई (Udaipur Kiran) । अच्छे दाम की उम्मीद में कई किसान आलू को कोल्ड स्टोरेज में रखकर मुनाफा कमाने का सपना देख रहे थे, लेकिन बाजार की मौजूदा स्थिति ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। इस समय आलू की बिक्री से मिलने वाले पैसों से किसान धान की खेती करते हैं, जिसमें खाद, मजदूरी और अन्य जरूरी खर्च शामिल हैं। लेकिन कोल्ड स्टोरेज में रखा आलू अब किसानों को मात्र 6 से 7 रुपये प्रति किलो के दाम पर बेचना पड़ रहा है। कई किसानों का कहना है कि यदि उन्होंने खेत से ही आलू बेच दिया होता, तो ज्यादा फायदा होता। अब कोल्ड स्टोरेज में रखे आलू से व्यापारी तो मुनाफा कमाएंगे, लेकिन किसानों को घाटा उठाना पड़ेगा।
बोहार के किसान शेख मोहम्मद यूसुफ ने बताया कि बिचौलिये आलू बेचकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। खुले बाजार में आलू 17 से 19 रुपये प्रति किलो के भाव में बिक रहा है, और कई जगहों पर तो इससे भी अधिक दाम मिल रहे हैं। इसके बावजूद किसान 10 रुपये प्रति किलो भी नहीं पा रहे हैं। अगर आलू के दाम नहीं बढ़े, तो किसानों को बड़ा झटका लगेगा। उनका कहना है कि यदि कोल्ड स्टोरेज में रखने के बाद भी अच्छा दाम न मिले, तो किसान भविष्य में आलू भंडारण के प्रति उत्साह खो देंगे।
मेमारी-2 ब्लॉक के कानपुर गांव के किसान देबप्रसाद कर्मकार ने कहा कि खुले बाजार में आलू की कीमतों में गिरावट नहीं आई है, लेकिन किसानों को कीमत नहीं मिल रही है। यदि यही स्थिति बनी रही, तो उनकी खेती की लागत भी नहीं निकल पाएगी। लाभ केवल बिचौलियों और बड़े व्यापारियों को हो रहा है। अभी दाम कम हैं, लेकिन पूजा के बाद स्थिति बदल जाएगी। तब किसानों के पास स्टॉक नहीं रहेगा और बड़े व्यापारी ही फायदा उठाएंगे।
कृषि विभाग के सूत्रों के अनुसार, पिछले सीजन में पूर्व बर्दवान के हर ब्लॉक में पर्याप्त मात्रा में आलू का उत्पादन हुआ था। हालांकि कुछ पंचायतों में बारिश के कारण नुकसान हुआ था, जिन किसानों को नुकसान हुआ, उन्हें बीमा का पैसा मिला है। कई छोटे किसान बेहतर कीमत की आस में कोल्ड स्टोरेज में आलू रखे हुए हैं। लेकिन अब धान की कीमत भी गिर गई है, और खाद्य विभाग दूर-दराज के इलाकों में कैंप नहीं लगा रहा है। नतीजतन, किसान कोल्ड स्टोरेज से आलू निकालकर बेचने को मजबूर हो रहे हैं।
पूर्व बर्दवान जिला परिषद के सभाधिपति श्यामप्रसन्न लोहार ने कहा कि आलू के दाम में इतना अंतर नहीं होना चाहिए। जब ग्राहक अधिक कीमत देकर आलू खरीद रहे हैं, तो किसानों को भी अधिक लाभांश मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो बाजारों में अभियान चलाया जाएगा।
वहीं व्यापारियों का कहना है कि कोल्ड स्टोरेज से निकाले गए आलू को छांटना पड़ता है। छोटे आकार के आलू की कीमत नहीं मिलती। छांटने के बाद जब अच्छी क्वालिटी का आलू बाजार में भेजा जाता है, तब उसकी कीमत ज्यादा मिलती है। यदि किसान भी छांटे हुए आलू बाजार में भेजते, तो उन्हें भी बेहतर दाम मिल सकता था।
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(Udaipur Kiran) / धनंजय पाण्डेय
