नई दिल्ली, 22 नवंबर (Udaipur Kiran) । सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवाद’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने की मांग वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर 25 नवंबर को फैसला सुनाने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने 21 अक्टूबर को कहा था कि ‘पंथनिरपेक्षता’ और ‘समाजवाद’ संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा रहे हैं। कोर्ट पहले भी अपने कई फैसलों में इसे साफ कर चुका है। इन शब्दों की अलग-अलग व्याख्या हो सकती है। बेहतर होगा कि हम इन शब्दों को पश्चिम देशों के संदर्भ में ना देखकर भारतीय संदर्भ में देखें। यह याचिका भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी, अश्विनी उपाध्याय और बलराम सिंह की ओर से दायर की गई है।
नौ फरवरी को सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा था कि ऐसा नहीं है कि प्रस्तावना में संशोधन नहीं किया जा सकता है लेकिन सवाल ये है कि क्या तारीख को बरकरार रखते हुए प्रस्तावना में संशोधन किया जा सकता है। जस्टिस दत्ता ने वकीलों से अकादमिक दृष्टिकोण से इस पर विचार करने को कहा।
याचिका में 42वें संविधान संशोधन के जरिये पंथनिरपेक्ष और समाजवाद शब्दों को जोड़ने की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि 42वें संविधान संशोधन के जरिये इन शब्दों को जोड़ना गैरकानूनी है। संविधान बनाने वालों ने कभी भी संविधान में समाजवादी या पंथनिरपेक्ष विचार को लाना नहीं चाहा। यहां तक कि डॉ बीआर अंबेडकर ने भी इन शब्दों को जोड़ने से इनकार कर दिया।
(Udaipur Kiran) /संजय
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(Udaipur Kiran) / वीरेन्द्र सिंह