Uttar Pradesh

अक्षय नवमी पर आंवले के पेड़ का लोगों ने किया पूजन, पेड़ के पास बैठ कर प्रसाद भी पाया

अक्षय नवमी पर आंवले के पेड़ का पूजन करते श्रद्धालु: फोटो बच्चा गुप्ता

— यह अमृत फल भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है : डॉ जयप्रकाश

वाराणसी, 10 नवम्बर (Udaipur Kiran) । काशी पुराधिपति की नगरी में कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी यानि अक्षय नवमी पर रविवार को श्रद्धालुओं ने आंवला वृक्ष का विधिवत पूजन किया। इसके बाद आंवला के वृक्ष के नीचे श्रद्धालुओं ने पूरे श्रद्धाभाव से अहरा सुलगाया। अहरा के जलने पर खीर, बाटी, दाल, चोखा बनाकर पहले श्री हरि भगवान विष्णु को भोग लगाया। फिर मस्ती और उत्साह पूर्ण माहौल में दोस्तों और परिजनों के साथ पंगत में बैठ सामूहिक प्रसाद का आनन्द उठाया। अक्षय नवमी तिथि पर अहरा दगाने के लिए लोग पूर्वाह्न में ही बाग, बगीचे व मंदिर परिसरों में आंवले के वृक्ष की तलाश कर परिवार के साथ पहुंच गए। इसके बाद आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाकर परिवार सहित प्रसाद के रूप में ग्रहण किया।

गौरतलब हो कि दिव्य कार्तिक मास श्रीहरि की आराधना को समर्पित माना जाता है। इस माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी कहा जाता है। इस दिन आंवले के वृक्ष का पूजन कर खानपान का विधान है। पर्व पर गंगा स्नान और अन्नदान के साथ आंवला के वृक्ष के नीचे भोजन करने से अनंत फल प्राप्त होता है। माना जाता है कि इस दिन दिया दान पूर्ण अक्षय हो जाता है। आंवले का वृक्ष भगवान विष्णु को प्रिय है। मान्यता है कि इस दिन द्वापर युग का आरंभ हुआ था। आयुर्वेद के अनुसार भी आंवला सेहत के लिए वरदान है। इसके नियमित सेवन से आयु बढ़ती है और बीमारियों से रक्षा होती है। पीपल, तुलसी की तरह ही आंवला भी पूजनीय और पवित्र माना गया है।

आंवले के पेड़ का पूजन

अक्षय नवमी पर असि स्थित गोयनका संस्कृत विद्यालय परिसर में जागृति फाउंडेशन के कार्यकर्ताओं की अगुआई में आंवले के वृक्ष का पूजन किया गया। वृक्ष पूजन के बाद डॉक्टर जयप्रकाश मिश्रा ने बताया कि आंवला को देव वृक्ष माना गया है। यह अमृत फल भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है। कहा जाता है कि आज इस वृक्ष का पूजन अर्चन करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है। इस दौरान फाउंडेशन के महासचिव रामयश मिश्र ने बताया कि वर्ष 2001 में इस आंवले के पौधे का रोपण किया गया। पौधा आज 23 साल बाद पूरी तरह से पेड़ का स्वरूप धारण कर लिया है। दो-तीन साल से तो यह फल भी दे रहा है। 2001 में इसे पुत्र के रूप में रोपित किया गया और आज ये बड़ा हो गया है। ये देखकर बहुत ही खुशी मिलती है। कम से कम एक ऐसा पौधा लगाया गया जो आज पूरी तरह से पेड़ का स्वरूप धारण कर लिया है। कार्यक्रम में समाजसेवी अनुराग पांडेय उर्फ छोटू , नवीन बाजपेई, अभिषेक तिवारी, शृवेश चौबे, अविजीत सिंह, पंकज उपाध्याय आदि ने भी भागीदारी की।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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