HEADLINES

समान न्याय और निरर्थक औपनिवेशिक प्रथाओं से छुटकारा न्यायपालिका के मार्गदर्शक सिद्धांत होने चाहिएः राष्ट्रपति

SC publication release By President.

नई दिल्ली, 5 नवंबर (Udaipur Kiran) । राष्ट्रपति द्रैपदी मुर्मु ने मंगलवार को कहा कि समान न्याय और निरर्थक औपनिवेशिक प्रथाओं से छुटकारा पाना हमारी न्यायपालिका के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत होने चाहिए। हमें स्वतंत्रता-पूर्व न्यायशास्त्र के उपयोगी पहलुओं को जारी रखते हुए औपनिवेशिक विरासत के अतिरिक्त बोझ को दूर करना चाहिए।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज सर्वोच्च न्यायालय के तीन प्रकाशनों का विमोचन किया। मंगलवार को नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में विमोचन के दौरान मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना तथा केन्द्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हमारी न्याय वितरण प्रणाली को एक न्यायपूर्ण और निष्पक्ष समाज के रूप में आगे बढ़ने में देश की मदद करनी चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय लोकाचार और वास्तविकताओं में निहित एक न्यायशास्त्र विकसित किया है। आज जारी ‘जस्टिस फॉर द नेशन’ नामक पुस्तक सुप्रीम कोर्ट की 75 वर्षों की यात्रा के प्रमुख प्रड़ावों का वर्णन करती है। यह लोगों के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर सुप्रीम कोर्ट के प्रभाव को दर्शाती है।

राष्ट्रपति ने कहा कि विचाराधीन कैदियों की स्थिति उनके लिए एक स्थायी चिंता का विषय है। उन्हें खुशी है कि जेल प्रणाली पर आज जारी रिपोर्ट में विचाराधीन कैदियों की संख्या कम करने में न्यायपालिका की भूमिका को समझने का प्रयास किया गया है।

—————

(Udaipur Kiran) / अनूप शर्मा

Most Popular

To Top