नैनीताल, 3 नवंबर (Udaipur Kiran) । नैनीताल के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल टिफिन टॉप में पिछले तीन माह से आवाजाही बंद होने पर क्षेत्र के वरिष्ठ नागरिक और वन्य जीव बोर्ड के सदस्य, पद्मश्री अनूप साह ने गहरा रोष व्यक्त किया है और इस क्षेत्र को शीघ्र खोलने की मांग की है। श्री साह का कहना है कि टिफिन टॉप के डोर्थी सीट में लंबे समय से दरारें पड़ी थीं, जिनका प्रशासन समय रहते मरम्मत कार्य कर सकता था। दुर्भाग्यवश प्रशासन की अनदेखी के कारण छह अगस्त 2024 को यह हिस्सा भूस्खलन की चपेट में आ गया और पूरी तरह ध्वस्त हो गया। इसके बाद प्रशासन ने यहां आगे भी भूस्खलन के खतरे का दावा करते हुए पूरे टिफिन टॉप क्षेत्र में लोगों की आवाजाही बन्द कर दी है। उन्होंने यहां दरार युक्त क्षेत्र में भूस्खलन हो चुकने का दावा करते हुए और आगे भूस्खलन न होने की संभावना जताते हुए सुझाव दिया कि भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में बैरिकेटिंग कर अन्य हिस्सों को पर्यटकों के लिए खुला रखा जाना चाहिए था।
घोड़ा चालकों की आजीविका पर संकट
उल्लेखनीय है कि अंतरिम रूप से घोड़ा चालकों को बारापत्थर से लैंड्स इंड तक घोड़े चलाने की अनुमति दी गई है और लैंड्स इंड से आगे अयारपाटा क्षेत्र और शेरवुड कॉलेज से टिफिन टॉप तक का मार्ग अब भी प्रतिबंधित है। इससे यहां ट्रैकिंग, वनस्पति और वन्यजीवों में रुचि रखने वाले पर्यटक निराश हो रहे हैं। वहीं वन विभाग के कर्मचारियों की मौजूदगी केवल सुबह नाै बजे से शाम पांच बजे तक ही होती है, जिसके बाद अवांछित गतिविधियों के लिए यह क्षेत्र खुला रहता है।
श्री साह ने बताया कि उन्होंने इस मुद्दे पर मुख्य वन संरक्षक कुमाऊँ और प्रभागीय वनाधिकारी नैनीताल से बात की। वन अधिकारियों ने बताया कि कुमाऊँ आयुक्त और जिलाधिकारी के निर्देशों पर टिफिन टॉप में आवाजाही को बन्द रखा गया है और प्रशासन से अनुमति मिलते ही आवाजाही फिर से शुरू कर दी जाएगी। उन्होंने इस क्षेत्र में प्रवेश शुल्क के मुद्दे पर कहा कि स्थानीय स्कूली बच्चों और निवासियों को इसमें छूट मिलनी चाहिए। साथ ही, मार्ग में सीमेंट की स्थायी बेंच और कूड़ेदान की व्यवस्था भी होनी चाहिए। पेयजल की व्यवस्था करके प्लास्टिक की बोतलों को रोका जा सकता है। उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि वन विभाग कपड़े का थैला देकर टोकन मनी रखे, ताकि पर्यटक कचरे को वापस लाकर थैला लौटाएं और उन्हें टोकन मनी वापस मिल सके।
शेरवुड कॉलेज के निकट स्थित बरसात में बनने वाली झील में बदलाव पर भी उठ रहे प्रश्न
स्थानीय लोग शेरवुड कॉलेज के निकट स्थित बरसात में बनने वाली झील को एक भारी भरकम प्रोजेक्ट के रूप में बदलने के प्रशासनिक कदम का भी विरोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि बाँज के पेड़ों के बीच इस प्रकार के प्रोजेक्ट इस क्षेत्र के प्राकृतिक स्वरूप के साथ अनुचित छेड़छाड़ हैं। प्रशासन ने इस क्षेत्र में बनने वाली झील को बड़ा करने के लिए डीपीआर तैयार करने को कहा है, जो स्थानीय लोगों के अनुसार क्षेत्र के पर्यावरण और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।
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(Udaipur Kiran) / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी