गाजियाबाद, 30 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । डासना देवी मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती ने दीपावली के पूर्व मंदिर पहुंचकर बुधवार को बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने एक बयान जारी कर कहा है कि 29 सितम्बर को दिए गए विवादित बयान के बाद 4 अक्टूबर से वह अरेस्ट थे। उन्होंने कहा है कि दो दिन गाजियाबाद में रखने के बाद पुलिस उन्हें उत्तराखंड के किसी होटल में ले गई, जहां उन्हें एक कमरे में बंद रखा गया, कमरे के बाहर दो पुलिसकर्मी तैनात थे।
मंगलवार की शाम को मुझे उस कमरे से निकालकर उत्तर प्रदेश के बार्डर पर छुड़वा दिया गया। उसके बाद रात में करीब डेढ़ बजे वह डासना मंदिर पहुंच गए।
यति नरसिंहानंद का कहना है कि बम्हेटा से उन्हें हिरासत में लिया गया था। उन्होंने बताया कि कि 4 अक्टूबर की रात को वह बम्हैटा गांव में पार्षद प्रमोश यादव के घर ठहरे हुए थे। पुलिस वहां पहुंची और उन्हें अपने साथ पुलिस लाइन ले गई। पुलिस लाइन से दो दिन बाद पुलिस उन्हें उत्तराखंड ले गई और एक होटल के कमरे में रखा। यूपी पुलिस के दो जवान मेरे कमरे के बाहर तैनात रहते थे और मेरा मोबाइल भी उन्हीं के कब्जे में था। हालांकि पर्सनल कॉल करने के लिए मुझे सीमित समय के लिए फोन मिल जाता था।
महंत यति नरसिंहानंद का कहना है कि पुलिस ने उन्हें कुछ दिन चुप रहने के लिए कहा है। महंत ने बताया कि मंगलवार शाम को मुझे उस होटल से बाहर निकाला गया। 26 दिन तक एक कमरे में जेल जैसी स्थिति में रखने के बाद पुलिस ने मुझे उत्तर प्रदेश बार्डर पर छोड़ दिया, जहां से मैने अपने कुछ सेवकों से सम्पर्क किया और उनकी मदद से देर रात डासना मंदिर पहुंचा। हालांकि गाजियाबाद पुलिस महंत को हिरासत में लेने से इनकार करती रही है।
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(Udaipur Kiran) / फरमान अली