नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । केंद्रीय गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) ने अंतरराष्ट्रीय संगठित साइबर अपराधियों द्वारा म्यूल बैंक खातों का इस्तेमाल करके बनाए गए अवैध भुगतान गेटवे के खिलाफ़ एक नोटिस जारी किया है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में एमएचए सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलडब्ल्यूए) के सहयोग से साइबर सुरक्षित भारत बनाने के लिए सभी कदम उठा रहा है।
गुजरात पुलिस (एफआईआर 0113/2024) और आंध्र प्रदेश पुलिस (एफआईआर 310/2024) द्वारा हाल ही में किए गए राष्ट्रव्यापी छापों से पता चला है कि अंतरराष्ट्रीय अपराधियों ने म्यूल व किराए के खातों का इस्तेमाल करके अवैध डिजिटल भुगतान गेटवे बनाए हैं। मनी लॉन्ड्रिंग को एक सेवा के रूप में सुविधाजनक बनाने वाले इन अवैध बुनियादी ढांचों का इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के साइबर अपराधों की आय को लूटने के लिए किया जाता है।
एमएचए के अनुसार, ऑपरेशन के दौरान पहचाने गए कुछ भुगतान गेटवे में पीसपे, आरटीएक्स पे, पोकोपे, आरपीपे आदि शामिल हैं। पता चला है कि ये गेटवे मनी लॉन्ड्रिंग को एक सेवा के रूप में उपलब्ध कराते हैं और विदेशी नागरिकों द्वारा संचालित होते हैं।
आई4सी ने नागरिकों को सलाह दी है कि वे अपने बैंक खाते, कंपनी पंजीकरण प्रमाणपत्र, उद्यम आधार पंजीकरण प्रमाणपत्र किसी को न बेचें और किराए पर न दें। ऐसे बैंक खातों में जमा अवैध धनराशि के लिए गिरफ़्तारी सहित कानूनी परिणाम हो सकते हैं। बैंक उन बैंक खातों के दुरुपयोग की पहचान करने के लिए जांच कर सकते हैं जिनका उपयोग अवैध भुगतान गेटवे स्थापित करने के लिए किया जाता है। नागरिकों को किसी भी साइबर अपराध की तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1930 या www.cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करनी चाहिए और सोशल मीडिया पर “साइबरदोस्त” चैनल व अकाउंट को फ़ॉलो करना चाहिए।
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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार