-डीआईओएस या प्रबंधन को पद अधिसूचित होने के बाद रिक्तियों का निर्धारण बदलने का अधिकार नहीं
-2019 में रिक्त प्रधानाचार्य पदों की अधिसूचना के बाद स्थानांतरण से भरने को दी गई गई थी चुनौती
प्रयागराज, 02 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । हाईकोर्ट ने कहा कि उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को प्रधानाचार्य के रिक्त पदों को भरने के लिए अधियाचन भेजने के बाद उन पदों को स्थानांतरण से नहीं भरा जा सकता है। प्रधानाचार्य पद की रिक्तियां बोर्ड या आयोग से ही भरी जा सकती हैं। कोर्ट ने यह आदेश स्थानांतरण आदेशों को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं पर दिया है।
एटा के राजीव कुमार और हरि शरण ने याचिकाएं दाखिल कर उनके संस्थान में स्थानांतरण से प्रधानाचार्य के पद को भरने को चुनौती दी थी। याची संस्थान में वरिष्ठतम शिक्षक थे और कार्यवाहक प्रधानाचार्य के रूप में कार्यरत थे। याचियों की दलील थी कि उनके संस्थान में प्रधानाचार्य पद की भर्ती के लिए बोर्ड को अधिसूचित किया जा चुका था। ऐसे में स्थानांतरण के माध्यम से पदों को नहीं भरा जा सकता।
राजीव कुमार 2019 से स्वर्गीय गया प्रसाद वर्मा स्मारक कृषक इंटर कॉलेज में कार्यवाहक प्रधानाचार्य के रूप में कार्यरत थे। वहीं, हरि शरण 2015 से सर्वोदय इंटर कॉलेज, नजीरपुर, जिला एटा में कार्यवाहक प्रधानाचार्य के रूप में कार्यरत थे। दोनों मामलों में रिक्तियों को 2019 में बोर्ड को अधिसूचित किया गया था।
न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने प्रशांत कुमार कटियार बनाम यूपी राज्य में पूर्णपीठ और हरि पाल सिंह बनाम यूपी राज्य में डिवीजन बेंच के फैसलों का हवाला दिया। कहा कि एक बार नियमानुसार बोर्ड को अधियाचन भेज दिया है, तो प्रिंसिपल का पद स्थानांतरण से नहीं भरा जा सकता है। अदालत ने कहा कि प्रबंधन या जिला विद्यालय निरीक्षक के पास एक बार अधिसूचित होने के बाद रिक्तियों के निर्धारण को बदलने का अधिकार नहीं है। न्यायालय ने दोनों मामलों में 28 जून, 2024 के स्थानांतरण आदेश को रद्द कर दिया।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे